नई दिल्ली : इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी दो बार मनाई जा रही है, किन्तु वैष्णव जन 24 अगस्त को मनाएंगे | 23 अगस्त को सप्तमी युक्त अष्टमी है, जिसे पुराणों में निषेध किया है | जन्माष्टमी को स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के लोग अपने अनुसार अलग-अलग ढंग से मनाते हैं. श्रीमद्भागवत को प्रमाण मानकर स्मार्त संप्रदाय के मानने वाले चंद्रोदय व्यापनी अष्टमी अर्थात रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाते हैं, जो 23 अगस्त को है तथा वैष्णव मानने वाले उदयकाल व्यापनी अष्टमी एवं उदयकाल रोहिणी नक्षत्र को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाते हैं, जो कल शनिवार, 24 अगस्त को है |
वैष्णव और स्मार्त सम्प्रदाय मत
वैष्णव और स्मार्त सम्प्रदाय मत को मानने वाले लोग इस त्यौहार को अलग-अलग नियमों से मनाते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार वैष्णव वे लोग हैं, जिन्होंने वैष्णव संप्रदाय में बतलाए गए नियमों के अनुसार विधिवत दीक्षा ली है। ये लोग अधिकतर अपने गले में कण्ठी माला पहनते हैं और मस्तक पर विष्णुचरण का चिन्ह (टीका) लगाते हैं। इन वैष्णव लोगों के अलावा सभी लोगों को धर्मशास्त्र में स्मार्त कहा गया है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि - वे सभी लोग, जिन्होंने विधिपूर्वक वैष्णव संप्रदाय से दीक्षा नहीं ली है, स्मार्त कहलाते हैं।
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आईये जानते हैं कि पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत पर सही निर्णय कैसे किया जाता है |
श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत निर्णय
"अग्नि पुराण" के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के संबंध में इस प्रकार कहा गया है
वर्जनीय प्रयत्नेन सप्तमी संयुता अष्टमी। बिना ऋक्षेण कर्तव्या नवमी संयुता अष्टमी।
अर्थात: जिस दिन सूर्योदय में सप्तमी बेधित अष्टमी हो और रोहिणी नक्षत्र हो तो उस दिन व्रत नहीं रखना चाहिए। नवमी युक्त अष्टमी को ही व्रत रखना चाहिए।
पद्म पुराण
पद्म पुराण वर्णित है
पुत्रां हन्ति पशून हन्ति, हन्ति राष्ट्रम सराजकम।
हन्ति जातान जातानश्च, सप्तमी षित अष्टमी।
अर्थात: अष्टमी यदि सप्तमी विद्धा हो और उसमें उपवास करें तो पुत्र , पशु, राज्य ,राष्ट्र , जात, अजात, सबको नष्ट कर देती है।।
स्कन्द पुराण
स्कन्द पुराण के अनुसार
पालवेधेपि विप्रेन्द्र सप्तम्यामष्टमी त्यजेत।
सुरया बिंदुन स्पृष्टम गंगांभः कलशं यथा।
अर्थात: जिस प्रकार गंगा जल से भरा कलश एक बूंद मदिरा से दूषित हो जाता है उसी प्रकार लेश मात्र सप्तमी हो तो वह अष्टमी व्रत उपवास के लिए दूषित हो जाती है।
इन पौराणिक सन्देश को ध्यान में रखते हुए जन्माष्टमी व्रत एवं जन्मोत्सव 24 अगस्त 2019 शनिवार को ही मनाना चाहिए।
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 08 मिनट से।
- अष्टमी तिथि समाप्त: 24 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक।
- रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्त 2019 की सुबह 04 बजकर 15 मिनट से।
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 25 अगस्त 2019 को सुबह 07 बजकर 58 मिनट तक।
- व्रत का पारण: जानकारों के मुताबिक जन्माष्टमी के पहले दिन यानी 23 अगस्त को व्रत रखने वालों को अष्टमी तिथि 24 अगस्त प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर खत्म होने पर किया जाना चाहिये।
- और जो भक्त लोग 24 अगस्त को व्रत रखेंगे उन्हें रोहिणी नक्षत्र के खत्म होने के बाद व्रत का पारण करना चाहिये
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! जय श्रीकृष्ण