श्री दुर्गा सप्तशती के 6 विलक्षण मंत्र, करेंगे हर संकट का अंत


      भगवान शिव की सृजन शक्ति माँ भगवती जिससे संसार की उत्पत्ति हुई है | और सभी को माया की अनुभूति के लिए चेतना शक्ति प्रदान करने वाली माँ दुर्गा के आह्वान से बड़े से बड़ा संकट शीघ्र ही समाप्त हो जाता है|

सनातन धर्म का शक्ति पूजा का दिव्य व अनुपम ग्रंथ श्री दुर्गा सप्तशती अपने आप में पूर्ण तांत्रिक ग्रंथ है, जिसके सभी सात सौ श्लोक, स्वयं में एक प्रभावशाली मंत्र हैं | हर एक मंत्र मनुष्य की कामना पूर्ति करने वाला तथा जीवन की अनेक कठिन विपदाओं को जड़ मूल से मिटाने में सक्षम है |

   

   

    सम्पूर्ण  दुर्गा सप्तशती से छः मन्त्रों के प्रयोग यहाँ दिए जा रहे हैं | पढ़ने के पश्चात यदि आप इसका प्रयोग करना चाहते हैं तो योग्य ब्राह्मण साधक से ही दीक्षा लेकर संकल्प करें | 



 



(1) प्रबल आकर्षण वशीकरण

 

     यदि आपको अपने काम में सफलता प्राप्त नहीं हो रही है | और इसका कारण आप स्वयं के आत्मबल में कमी अनुभव कर रहे हैं या किसी व्यक्ति विशेष अथवा अपने परिवार अथवा वर्ग अथवा समाज का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं तो आप इस प्रबल आकर्षण वशीकरण मंत्र का प्रयोग करें

    प्रयोग के लिए निम्न मंत्र का ११ हजार जप कर १,००८ आहुति से हवन करें। संकल्प करें, कार्य होगा।

 

'ज्ञानिनापि चेतांसि देवी भगवती हि सा,

बलादा कृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।'

 

(नोट : चावल अथवा खीर, तिल, घृत, इलायची, बिल्व आदि से मिश्रित सामग्री से हवन करें।)



(2) पराजित करने के लिए मंत्र

 

   यदि सामने बलवान शत्रु हो तथा जिसको हराना कठिन जान पड़ रहा हो, विशेषकर आपकी जन्म कुंडली के ग्रह-दशाएं और गोचर में अशुभ योग तो आप माँ दुर्गा का स्मरण कर शत्रु को पराजित करने के लिए इस मंत्र का ११ हजार जाप कर दशांश से  हवन करें, हवन साम्रगी में केवल तिल, सरसों और गौघृत का ही प्रयोग करें।

 

'क्षणेन तन्महासैन्यंसुराणां तथा अम्बिका,

निन्ये क्षयं यथा वह्निस्तृणदारू महाचयम।' 

 

या

 

'गर्ज गर्ज क्षणं मूढ़ मधु यावत पिबाम्यहम्,

मया त्वयि हतेऽत्रैव गर्जिष्यान्तु देवता:।'

 

(हवनादि कर्म योग्य ब्राह्मण से संकल्प लेकर ही करें )

(3) अन्यायपूर्वक राजदंड के भय से मुक्ति हेतु मंत्र 

 

यह बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है, इसका उपयोग अत्यंत सावधानी और अंतिम विकल्प के रूप में ही करना चाहिए, यह एक ब्रह्मास्त्र के रूप में उपयोग होता है, इसके प्रयोग से सामने वाले शत्रु व राजसत्ता का सर्वनाश भी सम्भव है |  शत्रुओं के भय से मुक्ति अथवा किसी सरकारी षड्यंत्र व राजभय से मुक्ति के लिए निम्न मंत्र का विधिवत् तरीके से जप करें। जाप-अनुष्ठान से पूर्व जन्म कुंडली का विश्लेषण करा लें, जिससे अन्य ग्रह उपचार पहले करा लिया जाए | दशांश हवन करें |

 

'इत्युक्त: सोऽभ्यघावत् तामसुरो धूम्रलोचन:।

हुंकारेणैव तं भस्म सा यकाराम्बिका तत:।'

 

 (शेष होम की विधि ब्राह्मण के दिशा निर्देशन में ही कराएं )



(4) दु:ख-दारिद्र्य निवारण हेतु मंत्र 

   

   बहुत ज्योतिषीय उपाय के उपरान्त भी आपके कारोबार में कोई सुधार व उन्नति नहीं हो रही है तो इस दु:ख-दारिद्र्य निवारण  मंत्र का अनुष्ठान करें, निम्न मन्त्र का जाप करें | दशांश हवन करें |

 

'दुर्गेस्मृता हरसि भीतिम शेष जन्तौ:, 

स्वस्‍थै:स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि:।

दारिद्र्य दुख:हारिणी का त्वदन्या,

सर्वोपकार कारणाय सदार्द्र चित्रा।।'


(विशेष रूप से यज्ञ में गो दुग्ध से बनी खीर व बिल्वपत्र से मिश्रित हवन सामग्री की आहुति दें। 




(5) पद प्राप्ति या अधिकार प्राप्ति हेतु मंत्र 

 

   बहुत लम्बे समय से नौकरी करते हुए पदोन्नति नहीं हो पा रही है अथवा आप को नौकरी के अवसर प्राप्त नही हो रहे है तो पद प्राप्ति या अधिकार प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा का स्मरण कर निम्न मंत्र का अनुष्ठान करें |  दशांश हवन करें |

 

'हत्वा रिपुनस्खलितं तव तत्र भविष्यति।'


( हवन में गोघृत, तिल, जौ आदि का प्रयोग हो )




(6) रोगनाश, असाध्य बीमारी के निवारण हेतु मंत्र 

 

   जन्मकुंडली में षष्ठेश, अष्टमेश व द्वादशेश ग्रह के उपाय से यदि रोग में लाभ ना मिल रहा हो तो साथ में महा मृत्युंजय मंत्र का जाप अनुष्ठान करें | और यदि असाध्य रोग अति कष्ट दे रहा हो और समय कम हो तो रोगनाश, असाध्य बीमारी के लिए यह मंत्र महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव को कई गुना प्रभावशाली बना देगा |  ऑपरेशन के रोगी व असाध्य रोगों में सवा लाख का जाप करें |

 

मंत्र- 

 

'रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, 

ददासि कामान् सकलान भीष्टान्।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां,

त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयन्ति।।'

 

(हवन में सरसों, कालीमिर्च, जायफल, गिलोय, नीम, आंवला, राई, तिल, जौ आदि से दशांस आहुति दें)

 


 निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें - 

१. श्रद्धा व विश्वास के साथ जपें तथा माता दुर्गा की यथाशक्ति पूजा करें।

२. ११ हजार जप कर दशांश हवन करने से मंत्र सिद्ध हो जाएगा।

३. नित्य 1 माला करने से वह समस्या दोबारा उत्पन्न नहीं होगी।

४. पूजा-अनुष्ठान किसी योग्य ब्राह्मण से संकल्प लेकर करें |