नई दिल्ली | जिस जातक की कुंडली में सूर्य नीच राशि व शत्रु राशि में हैं अथवा शनि, राहू-केतु के दुष्प्रभाव में हैं, ऐसे जातक के जीवन में संबंधों व रोजगार को लेकर अस्थिरता बनी रहती है | जिनके जीवन में शत्रु बाधा, स्वास्थ्य व आर्थिक कष्ट लगातार बने हुए हैं, वे नित्य सुबह सूर्योदय से एक घंटा पूर्व उठकर स्नान करके प्रसन्न चित्त होकर पूर्ण आस्था से गायत्री मन्त्र को जपता हुआ सूर्य के सम्मुख खड़ा हो जाए और नीचे दिए हुए सुर्याष्टकं के प्रारम्भ के आठ मन्त्रों से सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान करें तो वह निश्चित रूप से एक माह के भीतर वर्तमान समस्या से मुक्त हो जाता है | यदि समस्या या रोग पुराना हो तो समय लगेगा किन्तु शीघ्र ही लाभ मिलने लगेगा | धैर्य से सूर्य भगवान की भक्ति करते रहे तो कुंडली और गोचर के सभी पाप ग्रह अपना बुरा फल देना बंद कर देंगे | अकेले सूर्य ग्रह सभी ग्रहों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं | ज्योतिष में सूर्य आत्मा का कारक ग्रह भी है |
सूर्योपासना से आत्मबल बढ़ता है |
यहां प्रस्तुत है पवित्र सूर्याष्टक का पाठ। पुराणों के अनुसार भी यह पाठ तुरंत फल प्रदान करने का सामर्थ्य रखता है |
यहां प्रस्तुत है पवित्र सूर्याष्टक का पाठ। पुराणों के अनुसार भी यह पाठ तुरंत फल प्रदान करने का सामर्थ्य रखता है |
सूर्याष्टकम्
आदिदेवं नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ॥ १॥
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ २॥
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ३॥
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्माविष्णुमहेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ४॥
बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ५॥
बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं
तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ६॥
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजःप्रदीपनम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ७॥
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ८॥
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडाप्रणाशनम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं दरिद्रो धनवान्भवेत् ॥ ९॥
आमिशं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने ।
सप्तजन्म भवेद्रोगी प्रतिजन्म दरिद्रता ॥ १०॥
स्त्रीतैलमधुमांसानि यस्त्यजेत्तु रवेर्दिने ।
न व्याधिः शोकदारिद्र्यं सूर्यलोकं स गच्छति ॥ ११॥
इति श्री सूर्याष्टकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
यदि ये मन्त्र याद ना हो पाए तो सामने इन मन्त्रों को देखकर पाठ किया जा सकता है | प्रात: स्नान करने के बाद ही सूर्यदेव को को जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान, जप, होम भी सूर्य के उपायों में आता है। सूर्य ग्रह की शांति करने के लिए इन ज्योतिषीय उपायों को अवश्य करना चाहिए |
1. स्नान द्वारा उपाय
जब जन्म कुंडली व दशा और गोचर में सूर्य पीड़ित हो तो जातक को सूर्योदय से पूर्व ही उठकर स्नान करते समय जल में खसखस या लाल फूल या केसर डालकर ही स्नान करना चाहिए | खसखस, लाल फूल या केसर ये सभी वस्तुएं सूर्य की कारक वस्तुएं हैं तथा सूर्य के उपाय करने पर अन्य अनिष्टों से बचाव करने के साथ-साथ जातक में रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास होता है | सूर्य की वस्तुओं से स्नान करने पर सूर्य की वस्तुओं के गुण व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं तथा उसके शरीर में सूर्य के गुणों में वृद्धि करते हैं |
सूर्य के उपाय करने पर उसके पिता के स्वास्थ्य में सुधार की संभावनाओं को सहयोग प्राप्त होता है |
2. सूर्य की वस्तुओं का दान
सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए व उसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए जातक को सूर्य की वस्तुओं का दान करना बहुत जरुरी है | सूर्य की वस्तुओं का दान करने से ही सूर्य के अनिष्ट से बचा जा सकता है। सूर्य की दान देने वाली वस्तुओं में तांबा, गुड़, गेहूं, मसूर दाल दान की जा सकती है। यह दान प्रत्येक रविवार या हर माह सूर्य के राशि परिवर्तन जिसे सूर्य संक्रांति कहते हैं, के दिन किया जा सकता है | सूर्य पीड़ित जातक सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य की वस्तुओं का दान करे तो सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त होती है |
सूर्यदेव को प्रसन्न करने के इन उपाय के अंतर्गत सूर्य की सभी कारक वस्तुओं का एकसाथ भी दान किया जा सकता है | दान करते समय वस्तुओं का वजन अपने सामर्थ्य के अनुसार लिया जा सकता है | दान की जाने वाली वस्तुओं को व्यक्ति अपने संचित धन से दान करे तो ही शुभ परिणाम लाता है | दान करते समय जातक में सूर्य भगवान पर पूरी श्रद्धा व विश्वास होना चाहिए | आस्था में कमी होने पर किसी भी उपाय के पूर्ण शुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं |
3. सूर्य मंत्र का जाप
सूर्य के उपायों में मंत्र जाप भी किया जा सकता है | सूर्य के मंत्रों में 'ॐ घूणि: सूर्य आदित्य: मंत्र' का जाप किया जा सकता है | इस मंत्र का जाप प्रतिदिन भी किया जा सकता है तथा प्रत्येक रविवार के दिन यह जाप करना विशेष रूप से शुभ फल देता है | प्रतिदिन जाप करने पर मंत्रों की संख्या 10, 20 या 108 हो सकती है | मंत्रों की संख्या को बढ़ाया भी जा सकता है |
मंत्र जाप की अवधि में व्यक्ति को जाप करते समय सूर्य देव की ओर मुख करके ही सूर्य का मन में स्मरण व ध्यान करना चाहिए |
4. सूर्य यंत्र की स्थापना
ज्योतिषीय उपायों में यंत्र की स्थापना व पूजा का विशेष महत्व है | किसी योग्य सूर्य साधक द्वारा ही सूर्य यंत्र की स्थापना करने के लिए सबसे पहले तांबे के पत्र या भोजपत्र पर नक्षत्र विशेष में कागज पर ही सूर्य यंत्र का निर्माण कराया जाता है | सूर्य यंत्र में समान आकार के 9 खाने बनाए जाते हैं। इनमें निर्धारित संख्याएं लिखी जाती हैं।
ऊपर के 3 खानों में 6, 1, 8 संख्याएं क्रमश: अलग-अलग खानों में होना चाहिए | मध्य के खानों में 7, 5, 3 संख्याएं लिखी जाती हैं तथा अंतिम लाइन के खानों में 2, 9, 4 लिखा जाता है |
इस यंत्र की संख्याओं की यह विशेषता है कि इनका सम किसी ओर भी किया जाए उसका योगफल 15 ही आता है। संख्याओं को निश्चित खाने में ही लिखना चाहिए |
भोजपत्र या कागज पर इस यंत्र को लाल चंदन, केसर, कस्तूरी से बनाया जाता है | अनार की कलम से इस यंत्र के खाने बनाना उत्तम होता है |
5. सूर्य हवन कराना
सूर्य गायत्री मंत्र से हवन में चावल की आहुतियाँ दें |
ॐ भास्कराय: विद्महे महातेजाय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ॥
सूर्य कुंडली में आत्मा का प्रतिनिधित्व के साथ-साथ आरोग्य शक्ति व पिता के कारक के रूप में भी देखा जाता है | जब जन्म कुंडली के अनुसार सूर्य के दुष्प्रभाव प्राप्त हो रहे हों या फिर सूर्य राहु-केतु से पीड़ित हों तो सूर्य से संबंधित उपाय करना लाभकारी रहता है |