नई दिल्ली | यदि जन्म जन्म कुंडली में चंद्रमा नीच राशि वृश्चिक में स्थित है या मंगल, राहू-केतु व शनि की पाप दृष्टि से पीड़ित है तो ऐसा जातक हमेशा किसी ना किसी मानसिक परेशानी से घिरा रहता है | चंद्रमा के दोष के फलस्वरूप मानसिक तनाव से जातक जीवन भर मुक्त नहीं हो पाता है | जन्मांग के चंद्रमा के ग्रह दोष को दूर करने के लिए ज्योतिषीय उपाय अवश्य करने चाहिए | जन्म कुंडली में सबसे प्रमुख ग्रह सूर्य के समकक्ष चंद्रमा को माना गया है | चंद्रमा अधिदैविक तल पर मन से जुड़ा हुआ है |
पुराणों में चंद्रमा की 27 पत्नियाँ बतलाई गई है | जिसमें रोहिणी सबसे अधिक प्रिय पत्नी है | ये आलंकारिक वर्णन है | गीता में भी भगवान कृष्ण ने कहा कि
नक्षत्राणाम् अहम् शशि: - नक्षत्रों में मैं चंद्रमा हूँ |
हमारे ब्रह्माण्ड में क्रान्ति वृत्त के पथ के उत्तर व दक्षिण पट्टी पर 27 नक्षत्रों का एक मंडल है, पृथिवी की कक्षा में भ्रमण करने वाला चंद्रमा प्रतिदिन एक नक्षत्र पर गोचर करता है, औसत रूप में 29 दिन में वह पृथ्वी का एक चक्कर लगाता हुआ 27 नक्षत्रों से गुजरता है | चंद्रमा अपने दैवीय प्रभाव से व्यक्ति को उसके जन्म कुंडली के अनुसार मानसिक संताप व सुख विशेष की अनुभूति कराता है | किसी दिन मन में अकारण प्राप्त होने वाले हर्ष, भय, शोक, उच्चाटन, द्वंद्व, क्रोध, काम व ज्वर आदि रोग के पीछे गोचर में भ्रमण करने वाला चंदमा ही कारण बन जाता है |
चंद्रमा अपने मास चक्र में 15 दिन के शुक्ल पक्ष व 15 दिन के ही कृष्ण पक्ष से गुजरता है | कृष्ण पक्ष मध्य में चंद्रमा अपना पक्ष बल खो देता है, जो अमावस्या तिथि में पूर्ण रूप से निर्बल हो जाता है, यदि वह किसी पाप ग्रह की दृष्टि व युति में हो तो मन को दुर्बल करता है | इसी प्रकार शुक्ल के मध्य से चंद्रमा को पक्ष मिल जाता है जो पूर्णिमा तिथि में पूर्ण रूप से बलवान हो जाता है, किन्तु यदि पूर्ण चंद्रमा को पाप ग्रह देखें तो जन्म कुण्डलिनी के अनुसार जातक अनेक विपत्ति का सामना करता है |
जन्म कुंडली में चंदमा का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए | किसी भी प्रकार की भविष्य कथन करने से पूर्व चंद्रमा के राशि स्वामी व नक्षत्र स्वामी ग्रह के बलाबल पर अवश्य विचार करना चाहिए | सत्ताईस नक्षत्र चंद्रमा पर जन्मांग के तारा बल व अपनी नैसर्गिक प्रकृति व स्वभाव के अनुसार प्रभाव डालते हैं | इसलिए कहा जाता है कि - सब दिन होत न एक समान
नीच चंद्र के दोष निवारण हेतु उपाय
आप स्वयं भी अपनी जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति व उस पाप ग्रहों के प्रभाव को देख सकते हैं | यहाँ पाठकों के अध्ययन के लिए बारह भावों के उपाय बतला रहे हैं |
प्रथम भाव में चंद्रमा
- वट बृक्ष की जड़ में पानी डालें.
- चारपाई के चारो पायो पर चांदी की कीले लगाऎं
- शरीर पर चाँदी धारण करें.
- व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए
- रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए
- पूर्णिमा के दिन शिव जी को खीर का भोग लगाएँ
द्वितीय भाव में चन्द्रमा
- मकान की नीव में चॉदी दबाएं
- माता का आशीर्वाद लें.
तृतीय भाव में चन्द्रमा
- चांदी का कडा धारण करें पानी
- दूध, चावल का दान करे़.
चतुर्थ भाव में चन्द्रमा
चांदी, चावल व दूध का कारोबार न करें- माता से चांदी लेकर अपने पास रखे व माता से आशिर्वाद लें
- घर में किसी भी स्थान पर पानी का जमाव न होनें पाए
पचंम भाव में चन्दमा
ब्रह्मचर्य का पालन करें.- बेईमानी और लालच ना करें
- झूठ बोलने से परहेज करें
- 11 सोमवार नियमित रूप से 9 कन्यावों को खीर का प्रसाद दें
- सोमवार को सफेद कपडे में चावल, मिशरी बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें
छटे भाव में चन्द्रमा
श्मशान में पानी की टंकी या हैण्डपम्प लगवाएं- चांदी का चोकोर टुकडा़ अपने पास रखें
- रात के समय दूध ना पीयें
- माता -सास की सेवा करें.
सप्तम भाव में चंद्रमा
- पानी और दूध का व्यापार न करें
- माता को दुख ना पहुचाये.
अष्टम भाव में चन्द्रमा
- श्मशान के नल से पानी लाकर घर मे रखें
- छल-कपट से परहेज करें
- बडे़-बूढो का आशीर्वाद लेते रहें
- श्राद्ध पर्व मनाते रहे
- कुएं के उपर मकान न बनाएं
- मन्दिर में चने की दाल चढायें व्यभिचार से दूर रहे.
नवम भाव में चन्द्रमा
- धर्म स्थान में दूध और चावल का दान करे
- मन्दिर में दर्शन हेतु जाएं
- बुजुर्ग स्त्रियों से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए
दशम भाव में चन्द्रमा
- रात के समय दूध का सेवन न करें
- मुफ्त में दवाई बांटें
- समुद्र, वर्षा या नदी का पानी घर में रखें.
एकादश भाव में चन्द्रमा
- भैरव मन्दिर में दूध चढायें
- सोने की सलाई गरम करके उसको दूध में ठण्डा करके उस दूध को पियें.
- दूध का दान करें.
द्वादश भाव में चन्द्रमा
- वर्षा का पानी घर में रखें
- धर्म स्थान या मन्दिर में नियमित सर झुकाए .
सावधानियां
जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार यदि आपका चन्द्रमा आपको बुरे फल दे रहा है तो सावधान रहे |
- कभी भी रात्रि में दूध नहीं पीना चाहिए.
- सफ़ेद वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए
- चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए.
- ना ही किसी से चंद्रमा से सम्बन्धित वस्तुओं को मुफ्त में लेना चाहिए
जब चन्द्र ग्रह के दोष के कारण अशुभ फल प्राप्त हो रहे हो तो
- शिव संकल्प के मन्त्रों का पाठ करें
- यजुर्वेद के 40 अध्याय का स्वाध्याय करें
- रुद्राभिषेक के रूद्र सूक्त का नियमित एक माह तक एक बार पाठ करें
- पंचाक्षरी मन्त्र - ॐ नमः शिवाय का प्रतिदिन 108 जाप करें