जब सारे ग्रह राहू केतु के बीच में राहू के आगे होते है तो जातक कालसर्प योग के दुष्प्रभाव से पीड़ित होता है |
कुछ ज्योतिषी लता जी की कुण्डली में शेषनाग कालसर्प योग बताते हैं परन्तु राहू के वक्री पथ पर केवल शनि ग्रह ही अष्टम भाव में स्थित है | शेष सभी ग्रह राहू-केतु के बंधन से बाहर है |
28 सितम्बर 1929, मुंबई को रात्रि 11 जन्मी लता मंगेशकर के लग्न में स्थित अष्टमेशव लाभेश गुरु की स्थिति ने जातक को दीर्घायु योग प्रदान किया है | साधारणत: लग्न का बृहस्पति निरोगी, दीर्घायु बनाता है, जीवन में संघर्ष देता है मगर अंत में विजयी भी बनाता है | वृषभ लग्न में स्थित अष्टमेश गुरु पर मारकेश व द्वादशेश मंगल की अष्टम दृष्टि जो इनके स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल प्रभाव देगा |
दिसम्बर 13 से गुरु की महादशा प्रारम्भ हो चुकी है | जिसमें बुध का अंतर अगस्त 18 से स्वास्थ्य को लेकर चिंताजनक समय दर्शा रहा है | पंचमस्थ बुध ( एक गणना के अनुसार बुध छठे भाव में प्रवेश कर चूका है ) स्वयं में मारकत्व का प्रभाव रखे हुए और मारकेश व द्वादशेश मंगल के नक्षत्र में होकर छठे में बैठे मंगल के साथ ही दो अंशों के निकट होकर पीड़ित है | बुध के बाद भी दिसम्बर 20 से केतु के अंतर में स्वास्थ्य को लेकर संतोषजनक स्थिति का होना और कठिन हो जाएगा |
अपनी जीवन यात्रा में जातिका ने गायन विद्या की प्राप्ति कर उसी को व्यवसाय बनाया | लग्न में बैठा गुरु ने जातिका को विद्या में रूचि पैदा की | लग्न का गुरु विद्या की प्यास तो जगाता ही है, साथ ही उसे एक अच्छे स्वाभाव का व्यक्तित्व भी प्रदान करता है | जातिका के अन्दर हर परिस्थिति में स्वयं को ढाल कर आगे बढ़ने की अद्भुत ताकत होती है |
केतु के संघर्षमय दशा के उपरान्त दिसम्बर 52 से शुक्र की महादशा से फ़िल्मी गायन का कैरियर ने नयी रफ़्तार पकड़ी | लग्नेश शुक्र चतुर्थ भाव में स्थित होकर दशम भाव पर दृष्टि डाल रहा है |
तृतीय भाव का स्वामी चन्द्रमा अपनी ही राशि में स्थित होकर गायन कला से जुड़े वाणी भाव के स्वामी बुध के नक्षत्र अश्लेशा में स्थित है | नवांश का स्वामी ग्रह बुध लग्नेश व दशमेश होकर उच्च भाव कन्या में स्थित है | नवांश में दशम भाव पर चंद्रमा की दृष्टि भी है | दशमांश कुंडली में भी दशमेश और तृतीयेश की एकादश भाव में युति कला क्षेत्र में व्यवसाय को दर्शा रही है | दशमांश के कर्मेश चन्द्र के साथ बैठे गुरु की बुध पर बुध के राशीश जो गुरु की राशि तृतीय भाव पर बैठे शनि पर दृष्टि है |
लग्न कुंडली में भाग्येश व कर्मेश शनि की अष्टम भाव से दशम भाव में दृष्टि से कर्म भाव को मजबूत करने के साथ भाग्यशाली होने का योग भी देता है |
विवाह के मामले में सप्मेश की छठे भाव में राहू केतू के धुरी में पीड़ित होना इस भाव के सुखद फलों की हानि करता हैं | वाणी का कारक बुध इनकी कुण्डली में द्वितीयेश व पंचमेश होकर स्वराशि के होकर पंचम भाव में केंद्र के स्वामी के साथ राजयोग बना रहे हैं |
वक्री बुध स्वतंत्र आजीविका के कारक भाव सप्तमेश मंगल के नक्षत्र चित्रा में हैं | नवांश में बुध लग्न में स्व राशि के होकर एक सशक्त स्थिति बना रहे हैं | बुध लग्न के अंशों के अति निकट होकर प्रभावी फल देने में सक्षम हैं|
संघर्ष के भाव में स्थित केतु जो लाभेश व अष्टमेश गुरु के नक्षत्र में स्थित है की महादशा 1946 - 1953 के बीच भारतीय सिनेमा में अपनी पहचान स्थापित करने में सफल रही |
बुध इनकी कुंडली में सर्वाधिक अंशों का होकर आत्मकारक ग्रह है | 1969 में लग्नेश शुक्र की महादशा के अंतर बुध में पद्म भूषण और भी कई भारतीय सिनेमा के संगीत अवार्ड हासिल किये |
लग्नेश शुक्र के नक्षत्र में स्थित राहू की महादशा 1996 से प्रारम्भ हुई | बारहवें भाव में स्थित राहू को द्वादेश मंगल छठे भाव से देखता हैं और राहू लग्नेश शुक्र के नक्षत्र में हैं | नवांश में शुक्र लाभ स्थान में और लाभेश चन्द्र चतुर्थ भाव में चतुर्थेश व सप्तमेश गुरु से दृष्ट है |
इसी राहू की महादशा के अंतर राहू में ही इन्हें महाराष्ट्र भूषण अवार्ड मिला | राहू- गुरु में इन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण, और राहू- केतु के पथ में आए भाग्येश शनि की अंतर दशा में भारत-रत्न के सम्मान की प्राप्ति हुई |