मथुरा : वृंदावन के बंदर चार चीजों को क्यूं छीनते हैंआइये एक भाव दृष्टिपात करें.
1. चप्पल जूते
तो भैया वृंदावन में आए हो तो वृंदावन हमारे प्रिय
लालजू की नित्य क्रीडा स्थली है
नित्य विहार स्थली हैं
जहां श्यामा श्याम नंगे पैर विचरण करते हैं, अतः
उस रज पर जूते चप्पल पहन ना चलो
पथ पर श्याम धूलि पग से छूते चलो
यही संदेश बंदर देते हैं.
2 :चश्मे को छीनते है
तो वृंदावन में पधारे प्यारे यात्री
वृंदावन को बाह्य नेत्रों से दर्शन करने की आवश्यकता न है बाह्य नेत्र से कहीं गंदगी देखोगे कहीं अपशिष्ट देखोगे और घृणा करोगे अपराध बनेगा. अतः
उस दिव्यतम श्री धाम !
वृंदावन का दर्शन आंतरिक नेत्रों से करो
दिव्य यमुना रसरानी जी का दर्शन करो
3 :मोबाइल
भाव - अरे प्यारे यात्री !
बड़े बड़े योगी यति भी वृंदावन आने के लिए तरसते हैं
श्री जी की चरण रज बृज रज के लिए बड़े बड़े देव तरसते हैं..
यथा,
पद में स्वामी हरिराम व्यास जू महाराज कहते हैं
जो रज शिव सनकादिक याचत सो रज शीश चढाऊं
तो वृंदावन मे आकर भी बाह्य जगत से संपर्क बनाने का क्या मतलब..
तन वृंदावन मे और मन कहां मोबाइल में
अतः तन मन दोनो को वृंदावन में केन्द्रित कर
4 :पर्स
भाव-
भजन की भूमि ये,
माया संग चलने की आवश्यकता नही
माला झोली पर्याप्त है,
व्यर्थ पर्स दिखाने की आवश्यकता नही
उस त्रिलोकी से है जग का वैभव,
निज प्रदर्शन करने की आवश्यकता नही. क्यूंकि
ये शुद्ध,
माधुर्य लीला की भूमि है.
प्रत्येक कण प्रिया लाल
जू के रस से आप्लावित है..
चूंकि भाव बहुत से हैं..
परंतु प्रमुख भावों पर चर्चा की..
तो ये बंदर कुछ संदेश देते हैं
परंतु उनके साथ इस प्रकार का बर्ताव सर्वथा अनुचित एवं जघन्य अपराध है...
धन धन वृंदावन के बंदर..
☘💞जै जै श्री वृंदावन ☘💞j