नई दिल्ली | कहीं आप भी किसी दिन कोई नियमित सब्जी को उतनी रूचि से खा नहीं पा रहे है तो यह लेख आपके लिए है |
मुहूर्त दीपिका में सभी तिथियों में विष के समान भोजन व कर्मों को वर्जित किया है | अधिकतर लोग इस शास्त्रीय बात पर सहज विश्वास नहीं करेंगे | किन्तु वास्तव में यह प्रयोग से सिद्ध पाया है कि कुछ विशेष तिथि में आलु या बैंगन या तला हुआ भोजन और आचार व नमकीन विष के तुल्य हो जाता है | आप किसी ख़ास दिन जब ये सब खाते हैं तो अगले दिन आप स्वयं को उतना स्वस्थ अनुभव नहीं कर पाते हैं | इसलिए तिथि के अनुसार भोजन की एक भारतीय परम्परा रही है जो आयुर्वेद पर आधारित है | किन्तु अब पुनः आयुर्वेद व ज्योतिष के ज्ञान को धीरे-धीरे स्वीकार किया जा रहा है |
सामान्य पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि जो कैलंडर हम प्रयोग करते हैं वह अंग्रेजी कलेंडर कहलाता है | शास्त्र में वर्जित खाद्य पदार्थों की तिथि वैदिक पंचांग के अनुसार है जो चंद्रमा और सूर्य के अंतर से विभाजित होकर बनता है जिसके शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष बनते हैं जो 30 दिन को पंद्रह-पंद्रह दिन में विभाजित करते हैं | चोदह दिवस दोनों पक्षों में समान होते हैं किन्तु उनका अगला दिन अमावस्या और पूर्णिमा का होता है | अमावस्या में चन्द्र सूर्य से अस्त हो जाता है | पूर्णिमा में चन्द्र पूर्ण बली होकर रात्रि में प्रकाश करता है | जैसे रात्रि के बारह बजे दिन बदल जाता है किन्तु चन्द्र माह की तिथि यानी दिन सूर्योदय के समय गणना की जाती है |
तो किस दिन क्या ना खाए इसके लिए नीचे एक तालिका दी जा रही है :-
सर्वतिथिषुवर्ज्यान्युक्तानि मुहूर्तदीपिकायाम्टी -
कुष्माण्डम् बृहतीफलानिलवणंवर्ज्यतिलाम्लं तथा तैलंचामलकं
दिवं प्रवसताशीर्षकपालांत्रकम् |
निष्पावाश्चमसूरिकान् फलमथोवृंताकभी संज्ञं मधुद्यूतंस्त्रीगमनं
क्रमात्प्रतिपदादिष्वेवमाषोडश ||
१. प्रतिप्रदा को कूष्माण्डा या काशी फल नहीं खाना चाहिए | कद्दू जिसे सीताफल, काशीफल, रामकोहला, तथा संस्कृत में कूष्मांड, पुष्पफल, वृहत फल, वल्लीफल कहते हैं.यह कोशातकी कुल का फल है और अंग्रेजी में पंपकिन नाम से जाना जाता है.
यह फल और सब्जी दोनों ही रुपों में उपयोग किया जाता है इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम ,फास्फोरस, आयरन, जिंक बहुत से तत्व पाए जाते हैं|किन्तु प्रतिपदा तिथि को इसका सेवन करना ठीक नहीं है |
२.द्वितीया में कटेली का फल यानि कटेरी एक प्रकार का कांटेदार पौधा होता है जो जमीन में फैला होता है। कटेरी के पत्ते हरे रंग के, फूल नीले और बैंगनी रंग के और फल गोल और हरे रंग के सफेद धारीदार होते हैं। इस कांटेदार पौधे के इतने गुण हैं कि आयुर्वेद में इसका उपयोग औषधि के रुप में किया जाता है।
श्वेत कंटकारी प्रकृति से कड़वी, गर्म, कफवात कम करने वाली, रुचि बढ़ाने वाली, नेत्र के लिए हितकर, भूख बढ़ाने वाली, पारद को बांधने वाली तथा गर्भस्थापक होती है। इसके बीज भूख बढ़ाने में मदद करते हैं। इसकी जड़ भूख बढ़ाने तथा हजम करने की शक्ति बढ़ाने में मदद करती है। किन्तु किसी भी पक्ष की द्वितीय तिथि को इसका सेवन भूल कर भी ना करें | जठराग्नि को नुकसान पहुँच सकता है |
३.तृतीया में नमक बिलकुल ना लें | बाजार में बिकने वाले नमकीन और चिप्स जैसे चटपटी चीजों में उपयोग किया जाने वाला सफ़ेद नमक तो वैसे भी जानलेवा हैं |
४.चतुर्थी में तिल का तेल बिलकुल भी प्रयोग ना करें न ही तिल के लड्डू आदि ग्रहण करें | आयुर्तिवेद के अनुसार तिल बहुत ही गुणकारी है| तिल भारी, स्निग्ध, गरम, कफ-पित्त-कारक, बलवर्धक, केशों को हितकारी, स्तनों में दूध उत्पन्न करनेवाला, मलरोधक और वातनाशक माना जाता है |
५.पंचमी में खटाई यानि अचार आदि खट्टी चीजें बिलकुल भी भोजन के साथ ना ले | जो लोग खटाई जैसे अचार, खाना पसंद करते है उन्हें पंचमी तिथि में सावधान हो जाना चाहिए | इस दिन यह शरीर के स्वास्थ्य के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है | वैसे भी इसका अधिक मात्रा में सेवन करना सेहत के लिए खतरनाक होता है | अचार आदि खट्टी खाने से शरीर के हारमोंस कमजोर होते है और साथ ही मेटाबोलिज्म को भी नुकसान पहुंचता है |
६.षष्ठी में तैल का प्रयोग भोजन में ना करें, बहुत ही आवश्यक हो तो गोघृत का प्रयोग करें | इस्तेमाल किया तेल तो बिलकुल भी ना करें |
७.सप्तमी में आंवला के प्रयोग ना करें | यह सही है कि आंवला सौ बीमारियों की एक दवा है | किन्तु सप्तमी तिथि में यह अपना शुभ प्रभाव नहीं देता है | आवंला का मुरब्बा ना खाए, इस दिन विशेष में यह खटास अधिक पैदा कर उदर में गड़बड़ी पैदा करता है |
८.अष्टमी में नारियल व नारियल की चटनी व मिठाई व नारियल पानी बिलकुल ना खाए | साथ ही के दिन घर से दूर अनावश्यक प्रवास ना करें, ऐसा भी निर्देश हुआ है |
९.नवमी में नारियल व रामतुरई की सब्जी ग्रहण ना करें |
१०.दशमी में भी राम तुरई के अलावा आलू और में ना खाए | परवल त्वचा पर फायदेमंद होता है. परवल में मौजूद बीज कब्ज और पाचन से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद होते हैं | डायबिटीज के मरीजों को खासतौर पर परवल खाने की सलाह दी जाती है | किन्तु दशमी तिथि में यह विष के समान हो जाती है |
११.एकादशी में भी परवल के अतिरिक्त सेम की फली यानि बीन्स ना खाए |
१२.द्वादशी में मसूर की दाल बिलकुल ना खाए
१३.त्रयोदशी के दिन बैगन का सेवन ना करें, अत्यधिक क्रोध का कारण बन सकता है |
१४.चतुर्दशी में मधु का सेवन बिलकुल ना करें | यदि आप नियमित शहद लेते हैं तो किसी भी फूल का शहद हो इस दिन प्रयास करें कि शहद ना ले |
१५.पूर्णिमा में जुआ न खेले न ही किसी से कोई शर्त लगाएं | पूर्णिमा के दिन चंद्रमा बली होकर मन को विशेष रूप से प्रभावित करता है | मन की चंचलता से किसी भी प्रकार के जोखिम कार्य में व्यक्ति बर्बाद हो सकता है | मनोरंजन के लिए भी ताश इत्यादि ना खेले |
१६.अमावस्या मै स्त्री संगम वर्जित है |
शीर्षम् नारिकेलकम् कपालं अलाबु अंत्रम् पटोलकम् |
भूपाल: कुष्मांडबृहती क्षारमूलकम्पनसंफलम् |
धात्री शिरः कपालांत्रम् नखचर्मतिलानिच ||
क्षुरकर्मागनासेवांप्रतिपत्प्रभृतित्यजेत् | नखंशिंबी |
चर्ममसूरिका इति प्रतिपदादि निर्णय:
-यह निर्णय सिन्धु ग्रन्थ द्वारा निर्देशित सूत्रों पर आधारित लेख है | आज भी अनेक गुरुकुलों में तिथि विशेष में उपरोक्त सब्जियों भोजन में नहीं बनती है |