अयोध्या तो क्या भारत के किसी भी तीर्थ में बाबर या बाबरी के नाम से मस्जिद नहीं होनी चाहिए- शंकराचार्य अमृतानन्द देव तीर्थ

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय में मुसलामानों को पांच एकड़ भूमि अयोध्या में ही दिए जाने को लेकर संतों व हिन्दू धर्माचार्यो में आक्रोश है | शारदा सर्वज्ञ पीठ, काश्मीर के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ ने कहा, "उच्चतम न्यायालय में रामजन्म स्थान पर कभी भी मस्जिद होने के प्रमाण नहीं मिले तो ऐसे में न्याय पीठ द्वारा विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए पांच एकड़ भूमि बाबरी मस्जिद के लिए देना एक ऐतिहासिक भूल साबित होगी | बाबर एक विदेशी लूटेरा था, उसने अपने भारत आक्रमण काल में हिन्दुओं के तीर्थों को लूटा, इसलिए उसके नाम से अयोध्या में मस्जिद बने यह भविष्य में घातक परिणाम लेकर आएगा | हम अयोध्या को मक्का नहीं बनने देंगे "


       जगद्गुरु अमृतानन्द जी ने आगे कहा कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को रिव्यु करने की याचिका डालने का निर्णय किया है वह देश के मुसलमानों में भ्रम पैदा करने का षड्यंत्र हैं, इससे जेहादी मुस्लमान भड़केगा | निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट को अपने लगभग एक हजार पेज के निर्णय के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को सार रूप में स्पष्ट करना चाहिए, जिससे भारत में जेहादी ताकतें श्रीराम मंदिर के निर्माण में बाधक ना बने | 


 ज्ञात हो की पूरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद देव तीर्थ जी ने अयोध्या में मुसलमानों को पांच एकड़ भूमि दिए जाने को महा विनाशकारी कदम बताया | उन्होंने अपने एक विडियो में बताया कि भारत के स्वतंत्र होने पर हिन्दुओं को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली | विदेशी आक्रान्ताओं के प्रतीक चिन्ह या स्मृति स्थलों को जड़मूल से हटाना सनातन धर्मी हिन्दुओं का मानव अधिकार है | देखिये पूरा विडियो जिसमें उन्होंने दावा किया कि अयोध्या तीर्थ पूरी पीठ के संविधान क्षेत्र में आता है |