नई दिल्ली | 30 नवम्बर | "देश में गोडसे को देशभक्त मानने वालों की संख्या बढती जा रही है, गांधी हत्याकांड केस पर पुनः एक विशेष जांच समिति का गठन होना चाहिए, भले ही संसद में गोडसे के नाम लेने पर हंगामा उठ खड़ा होता हो, किन्तु हिन्दू जनता अब गोडसे को समर्थन कर रही है और भाजपा नेतृत्व गोडसेवादी और प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी साध्वी प्रज्ञा पर दबाव डालकर गांधीवादी बना रही है, यह विचारों की अभिव्यक्ति का दमन है"-यह वक्तव्य विश्व हिन्दू पीठ के अध्यक्ष आचार्य मदन ने दिया |
आचार्य मदन ने कहा कि संसद में गोडसे पर चर्चा तक नहीं होती है ! यह नेहरु राज के समय की तानाशाही आज तक चल रही है | पं नाथूराम गोडसे ने गाँधी वध किया उसके बाद वे भागे नहीं अपितु शान्ति से अपनी गिरफ्तारी दी | आखिर सारे देश को जानने का हक़ है कि कौन से ऐसे कारण बन गए थे जिनके कारण गोडसे को पत्रकारिता त्याग कर हिंसा का मार्ग अपनाना पड़ा | अदालत में गोडसे ने वो सभी कारण गिनाए जिसके कारण मोहन दास गांधी की हत्या करने के लिए वो विवश हुए | गांधी देश सेवा करते-करते देश का विभाजन कर गए, यह बात किसी भी स्वतंत्रता सेनानी के लिए बहुत बड़ा आघात था | विभाजन से पूर्व लाहौर पंजाब सिंध के हिन्दुओं को गाँधी ने आश्वासन दिया कि विभाजन उनकी लाश पर बनेगा, किन्तु गाँधी नेहरु ने मिलकर भारत के टुकड़े-टुकड़े कर दिया | मुस्लिम लीग लाखों हिन्दुओं की हत्याओं के बाद भारत के पश्चिम और पूर्व में इस्लामिक स्टेट स्थापित करने में कामयाब हो गया और हम हिन्दू इस खंडित भारत में सेकुलर होकर रह गए |
फिर काश्मीर पर पाकिस्तान के आक्रमण के काल में भारतीय सेना के साथ विश्वासघात करते हुए 55 करोड़ रूपये की धन राशि पाकिस्तान पहुंचाने का जो भयंकर राजद्रोह किया उसके लिए गांधी को उचित दंड मिलना चाहिए | काश्मीर पर पाकसेना का जबरन कब्ज़ा होने पर नेहरु मंत्रिमंडल की ओर से 55 करोड़ रूपये देने पर वित्त मंत्री ने आधिकारिक रोक लगा दी थी | किन्तु गांधी मुस्लिम तुष्टिकरण की राह में अंधे होकर कार्य कर रहे थे, गांधी ने जबरदस्ती अनशन पर बैठकर पाकिस्तान की सहायता की | यदि पाकिस्तान को वह धन राशि प्राप्त नहीं होती तो भारतीय सेना काश्मीर को पूर्णतः पाक के कब्जे से मुक्त करा लेती और वह युद्ध एक वर्ष से अधिक भी नहीं चलता | गांधी के इसी पाक प्रेम को देखकर गोडसे को उन्हें यमलोक पहुँचाने का विचार आया |
विभाजन के 72 साल बाद भी भारत इस्लामिक आतंकवाद और मुस्लिम तुष्टिकरण का अखाड़ा बन चूका है | किसी भी राजनीतिक पार्टी में विशुद्ध राष्ट्रवाद और हिन्दू राष्ट्र की मूल भावना के अनुरूप आचरण नहीं रहा है | तथाकथित हिंदूवादी दलों द्वारा जोड़ तोड़ कर सत्ता हासिल करने के उपरान्त भी इस राष्ट्र में हिन्दू हित का भविष्य खतरे में होता जाए तो यह बेहद चिंताजनक है |
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल में लोकसभा चुनावी सभा में पं नाथूराम गोडसे को सच्चा देशभक्त कहा था, जिस पर भाजपा शीर्ष नेतृत्व और संघ के अधिकारियों ने अपनी असहमति दिखाई | किन्तु देश में गांधी और गांधीवाद के प्रति जनता का मोह भंग हो चूका है, सोशल मीडिया और गोडसे के साहित्य से गोडसे के प्रति लोगों की जिज्ञासा शांत हुई, परिणाम में साध्वी प्रज्ञा ने कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को रिकॉर्ड मत से हराया | जनता कांग्रेस व उनके गांधी और उनके तथाकथित गांधी परिवार की विचारधारा को नकार चुकी है | भाजपा व संघ अतीत के गांधीवाद के मोह से मुक्त होने चाहिए | देश को स्वतंत्र कराने में सशस्त्र क्रांतिकारी वीरों के प्रमुख योगदान है | गांधी को राष्ट्रपिता कहना भारत के अखंड भारत के बलिदानी स्वतंत्रता सेनानी आत्माओं का अपमान है |
देश को आजादी चरखे के कारण नहीं मिली देश की जनता अनेकानेक जन आन्दोलनों में शासन के डंडो व यातनाओं को झेल कर इस निष्कर्ष पर पहुंची चुकी है कि अहिंसा से आजादी नहीं मिलती !
देखिए शिव सेना के २००4 में सामना अख़बार में छपे सम्पादकीय लेख पर मचे हंगामे पर लाइव डिबेट जिसमें शिवसेना पं नाथूराम गोडसे को महान देशभक्त बताया था | क्या कांग्रेस से मिलकर भी गोडसेवाद जिन्दा रहेगा ? क्या भाजपा भी इतने लम्बे समय से शिव सेना के साथ रही तो शिवसेना के गोडसेवाद पर कभी स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया ?