काशी की ज्ञानवापी मस्जिद प्राचीन विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है-आचार्य मदन, अध्यक्ष विश्व हिन्दू पीठ

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    वाराणसी | "काशी की ज्ञानवापी मस्जिद प्राचीन विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है, सरकार को चाहिए कि अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि स्थान की तरह पुरातत्व विभाग के द्वारा इस परिसर की खुदाई करायी जाए, अन्यथा हिन्दू महासभा पुनः जन आन्दोलन के द्वारा शिव भक्तों जगाएगी" यह वक्तव्य हिन्दू महासभा के प्रवक्ता और विश्व हिन्दू पीठ के अध्यक्ष आचार्य मदन ने दिया | 
      Image result for gyan vapi masjidआगे उन्होंने कहा कि "1950 से अयोध्या में श्रीराम जन्मस्थान का विवाद कोर्ट में लटका हुआ था और सन 92 के 6 दिसम्बर को श्रीराम मंदिर का भवन यह सोचकर विध्वंश कर दिया गया कि यह बाबर का कलंक है, किन्तु पूर्व में हुई पुरातत्वीय उत्खनन और बाद के शोध से वहां मूल रूप से मंदिर होने के ही प्रमाण मिले, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय ने प्रमाण रूप में स्वीकार कर यह स्थान हिन्दुओं के पक्ष किया | इसी तरह हिन्दू महा सभा द्वारा मुख्य रूप से मथुरा और काशी के देवस्थानों की मुक्ति की मांग प्रारम्भ से ही रही है जब जनसंघ और भाजपा का जन्म भी नहीं हुआ था |"
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    इसके साथ ही विश्व हिन्दू महा संघ के राष्ट्रीय मंत्री वीर रामनाथ लूथरा ने कहा कि "कांग्रेस ने हमेश मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से हिन्दुओं की भावनाओं के विपरीत ही कार्य किया | वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से आशा की जा सकती है कि अयोध्या की तरह काशी विश्वनाथ परिसर को पूर्णतः इस्लामिक अतिक्रमण से मुक्त कराके काशी नगरी की गरिमा और धार्मिक तीर्थ की पवित्रता को अक्षुण्ण रखा जाए |"
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    पाठकों को जानकारी हो कि ज्ञानवापी परिक्षेत्र में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में अतिक्रमण किये स्थान पर स्थित भवन जिसे ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं, का विवाद सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है | हिन्दू मंदिर को वापस लेने की मांग के लिए यह वाद  वर्ष 1991 से स्थानीय अदालत में चल रहा है | 


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     प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास तथा अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया था | उनकी ओर से यह कहा गया था कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है |
इसी मंगलवार को एक नयी प्रार्थना की गयी है कि कोर्ट आदेश करें कि पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई हो, जिससे हिन्दू अपने मंदिर को शांतिपूर्ण तरीके से कोर्ट के द्वारा प्राप्त कर सके | अदालत ने अपील पर सुनवाई करते हुए विपक्षियों से आपत्ति तलब करने के साथ ही अगली सुनवाई को नौ जनवरी 2020 की तिथि मुकर्रर की है | 
विपक्ष में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी हैं | इस अधिकार को लेकर मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ. रामरंग शर्मा की मृत्यु हो चुकी है। दिवंगत वादी पंडित सोमनाथ व्यास के स्थान पर प्रतिनिधित्व कर रहे वाद मित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है | यह देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है |
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    यहाँ पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि परिसर में ज्ञानवापी नाम का बहुत ही पुराना कुआं है और इसी कुएं के उत्तर तरफ भगवान विश्वेश्वरनाथ का मंदिर है | मंदिर परिसर के हिस्सों पर मुसलमानों ने आधिपत्य करके मस्जिद बना दिया |  15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था |


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विजय शंकर रस्तोगी अदालत से संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल के संबंध में भौतिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की है | जिसमें मुख्य रूप से कब्जे वाले भवन के बाहर व अंदरूनी दीवारों, गुबंदों, तहखानों आदि के संबंध में एएसआइ से निरीक्षण कराकर रिपोर्ट देने की मांग है |  अदालत ने वादी पक्ष की अपील पर विपक्षीगण से आपत्ति मांगी है | 


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