यह सूर्य ग्रहण रविवार के दिन योग दिवस पर इस साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण है. इसे कंकण या चूड़ामणि ग्रहण भी कहते हैं.
यह ग्रहण अयन परिवर्तन के दिन घटित हो रहा है, जब सूर्य देव का दक्षिणायन प्रारंभ होने जा रहा है, यानि उसी दिन सूर्य देव रात्रि 23 बजकर 28 मिनट पर मृगशिरा नक्षत्र को पार करके आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं.
जब सूर्य देव आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी रजस्वला होती है और कामाख्या शक्तिपीठ, गुवाहाटी में तीन दिवसीय अम्बुवासी उत्सव प्रारम्भ होता है. ऐसी घटनाओं का दुर्लभ संयोग सूर्य ग्रहण के साथ बहुत कम देखने को मिलता है.
सूर्य ग्रहण का समय राजनीतिक और आध्यात्मिक दोनों ही रुपों में बदलावों को दर्शाने वाला होता है. 21 जून 2020 को लगने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत समेत विश्व के कई देशों पर दिखाई देगा. इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण कंकण की आकृति में होगा. इस कारण इसे कंकण सूर्य ग्रहण के नाम से पुकारा जाएगा. भारत में विशेष रूप से अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाओं से सत्ता पक्ष अस्थिरता से भयभीत रहेगा.
कंकण सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को प्रात:काल से दोपहर तक भारत में दृश्य होगा. भारत के अतिरिक्त इस ग्रहण को दक्षिणी पूर्वी यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्रों में व प्रशांत और हिंद महासागर से लेकर मध्य पूर्वी एशिया में देखा जा सकेगा.
भारत में दिखाई देने वाले इस ग्रंहण का समय और इसका प्रभाव बहुत लम्बे समय तक अपना प्रभाव डालेगा. इसलिए इसका बड़ा असर सभी पर देखने को मिलेगा. दृश्य होने के कारन देश में इस ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा. इस सूर्य ग्रहण का असर सभी राशियों पर देखने को मिलेगा. मुख्य रुप से ये ग्रहण जिस राशि पर लगता है उस पर इसका अधिक गहरा प्रभाव पड़ता है. इसी के साथ ग्रहण समय कौन आ नक्षत्र प्रभावित हो रह अहै उस पर भी इसका असर दिखने को मिलता है.
ग्रहों ओर राशि के अलावा इस ग्रहण के बुरे प्रभाव प्रकृति पर भी दिखाई देंगे. बाढ़ भूकंप व तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी इस समय पर ज्यादा बढ़ सकती है. देशों की राजनैतिक और आर्थिक स्थिति पर इसका असर भी देखने को मिलेगा. कंकण सूर्य ग्रहण का असर भारत और उसके पड़ोसी राष्ट्रों पर भी होगा ऎसे में परेशानी अधिक होगी.
कब होगा ग्रहण और सूतक का काल
कंकण सूर्य ग्रहण का आरंभ प्रात:काल 09:15 से होगा जिसकी समाप्ति दोपहर 13:04 तक होगी. इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल 20 जून, 2020 को रात्रि में 09:55 बजे से शुरू हो जाएगा, जो ग्रहण के मोक्ष काल यानी ग्रहण पूर्ण होने तक लागू रहेगा
- ग्रहण के सूतक काल के आरंभ होने से पूर्व ही भोजन व तरल वस्तु अथवा रसदार वस्तुओं की शुद्धता के लिए भोज्य पदार्थों में तुलसी दल या कुशा को डाल दिया जाता है.
- सूतक व ग्रहण के समय पर भगवान की मूतियों का स्पर्श करना वर्जित होता है.
- मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं.
- सूतक काल समय पर भोजन का त्याग किया जाता है.
- ग्रहण सुतक काल में बच्चे, वृद्ध एवं रोगी को छोड़कर अन्य किसी को भी भोजन नहीं करना चाहिए.
- गर्भवती महिलाओं को खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए.
- ग्रहण काल में सोना और भोजन नहीं करना चाहिए.
- सब्जी-फल या अन्य वस्तु का काटना अथवा सेवन करना निषिद्ध है.
ग्रहण का सभी राशियों इन राशियों पर प्रभाव
वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन राशि के लोगों के लिए समय विशेष कष्ट व परेशानी वाला होगा. विशेष रूप से मिथुन और धनु राशि वालों को इस समय पर विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. इन राशि वाले जातकों को ग्रहण काल में ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए दान और गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए. घर पर गंगा जल हो तो स्नान के जल में मिला कर स्नान करना चाहिए. ग्रहण समय पर स्नान करना चाहिए. ग्रहण समय गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही ग्रहण काल समय पर ईष्ट मंत्र जाप करने से मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है और ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचाव तो होता ही है.
ग्रहण समय किए जाने वाले पुण्य कार्य
- ग्रहण समय पर दान करना अत्यंत उत्तम कार्य कहा गया है. इस समय ग्रह से संबंधित अनाज इत्यादि का दान करना चाहिए.
- जरुरतमंद लोगों को दान करना उत्तम होता है.
- ग्रहण काल समय मंत्र जाप करना चाहिए.
किन्तु ध्यान रहे किसी भी प्रकार के नए कारोबार व नए प्रोजेक्ट पर काम की शुरुआत इस ग्रहण काल में नहीं करनी चाहिए.
ग्रहण के अशुभ असर से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करन आत्यंत उत्तम होता है.
-आचार्या राजरानी शर्मा, ज्योतिष विशेषज्ञ