कुंडली में किसी एक भाव में बैठे हुए दो या दो से अधिक ग्रहों को युति संबंध कहा जाता है. यह एक प्रकार का मेलापक संबंध होता है जो दोनों ग्रहों के गुण धर्मों को एक दूसरे के समक्ष रखता है. इसके साथ ही दो या दो से अधिक ग्रहों का कुण्डली में किसी एक भाव में बैठा होना ग्रहों की फल देने कि क्षमता को भी प्रभावित करता है.
ग्रहों का युति संबंध जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर अपना असर डालने कि कोशिश भी करता है. यह उसी प्रकार अपना सर दिखाते हैं जिस प्रकार दो अलग व्यवहार के लोग जब एक स्थान पर होने पर अपनी अपनी सोच को सामने रखते हैं. उसी प्रकार जिस भी भाव में ग्रह युति हो रही हो, वह अपने अपने रुप से जरुर इफैक्ट डालने की कोशिश करेगी.
सूर्य जब भी किसी ग्रह के साथ युति संबंध बनाता है तो उस समय पर उसके साथ जो भी ग्रह होता है उसका असर भी दिखाई देता है. सूर्य की युति में सबसे महत्वपुर्ण तथ्य होता है कि कोई भी ग्रह सुर्य के बहुत अधिक अंशों में स्थित न हो तो अधिक बेहतर होता है. इसके पीछे के कारण को हम इस तरह से समज सकते है कि सूर्य एक अत्यंत उग्र तेज है जिसके समक्ष जो भी वस्तु आती है उसका अपना तेज कम हो जाना स्वभाविक है. यदि अंशो में दूरी हो तो इस स्थिति में दोनों ग्रह अपने-अपने गुणों का प्रभाव देने में सक्षम हो सकते हैं.
सूर्य और चंद्रमा की युति
सूर्य की चंद्रमा के साथ युति संबंध होने की स्थिति में, व्यक्ति अपने संबंधों को लेकर कुछ सजग होता है. अपनी जिम्मेदारियों को भी समझता है. लोगों के साथ मित्रता का व्यवहार भी रखने की कोशिश करता है. आसपास की महिलाओं के साथ स्वस्थ संबंध बनाए रखता है. व्यक्ति में चीजों के प्रति आकर्षण का भाव भी जागृत होता है. उसकी बोलचाल दूसरों को उसके साथ जोड़्ने का काम करती है.
कई बार व्यक्ति नशे की चीजों जैसे शराब, ड्रग्स आदि के प्रति भी आकर्षित हो सकता है. चालबाजियों को भी अपनाता है. चीजों को बेचने के लिए अपने चतुर दिमाग का उपयोग कर सकता है. व्यक्ति के पास एक मजबूत और दृढ़ दिमाग नहीं होता है. इस कारण वह अक्सर अस्थिरता की ओर जाता है. वह हमेशा नई चीजों की कोशिश करने के लिए भी इच्छुक रहता है. वह अपने काम से कभी जल्दी से संतुष्ट नहीं होता है.
सूर्य और मंगल की युति का फल
सुर्य और मंगल दोनों ही ग्रह अपने आप में एक अत्यंत उग्र ग्रह माने गए हैं. दोनों ही अग्नि तत्व से युक्त होते हैं. ऎसे में इन दोनो का एक साथ होना व्यक्ति की भीतर की अग्नि को और अधिक तीव्र करने वाला होता है. ग्रहों का यह संयोग व्यक्ति को कई मामलों में आक्रामक और अधीर स्वभाव का भी बना सकता है. चूंकि दोनों ग्रह प्रकृति में आक्रामक हैं, इसलिए व्यक्ति को अपने स्वभाव को नियंत्रित करने में समस्या हो सकती है. ऐसा व्यक्ति साहसी होता है.
जीवन में विभिन्न चुनौतियों का सामना करके, व्यक्ति अपनी शक्ति और ताकत का परीक्षण करने के लिए इच्छुक भी होता है. अपने इस व्यवहर के चलते जोखिम के काम करने से वह ऎसी गतिविधियों में शामिल हो सकता है जो जीवन के लिए समस्याएं पैदा कर देती हैं. ऐसे व्यक्ति में नेतृत्व गुण होते हैं और इस प्रकार वह हमेशा खुद को सभी से आगे रखने की कोशिश करता है.
सूर्य और बुध की युति का फल
सूर्य और बुध की किसी भाव में युति का प्रभाव व्यक्ति को व्यक्ति को चंचल बना सकता है. व्यक्ति अपने आप में अधिक रहने वाला और कई मामलों में मनमौजी भी हो सकता है. बुद्धि और विद्या की दृष्टि से एक बेहतर संयोग भी माना गया है. व्यक्ति कार्य स्थल पर अच्छा करता है. कई बार वह खर्चीला हो सकता है हालांकि, इस स्थिति से वित्त में अस्थिरता हो सकती है. ऐसा व्यक्ति मृदुभाषी होता है और अपने संवाद कौशल से दूसरों को आकर्षित करने में भी सफल होता है. वह अपने सामाजिक दायरे में सभी से प्यार करता है.
व्यक्ति विद्वान बन सकता है और अपने क्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त करने मं भी सफलता पा सकता है वह अपनी बुद्धि का उपयोग अपनी नौकरी और व्यवसाय में सफलता पाने के लिए अधिक करना चाहता है.
सूर्य और बृहस्पति की युति का फल
सुर्य का जब युति संबंध बृहस्पति से बनता है तो येक अच्छे योग को भी दर्शाता है. शिवराज योग की स्थिति इसमें निर्मित होती है. यह दो अनुकूल ग्रहों का एक संयोग होता है. इस संयोजन के कारण व्यक्ति में आध्यात्मिक पक्ष भी उज्जवल रुप में मौजूद होता है. व्यक्ति सामाजिक रुप से अपने को स्थापित करने में भी सक्षम होता है. व्यक्ति अधिकांश समय धार्मिक गतिविधियों में भी व्यतीत कर सकता है. वह दिल से दयालु और पवित्र भी है. कई बार व्यक्ति में अहं का भाव बढ़ सकता है. ऎसे में वह दूसरों की बातों को अधिक ध्यान न देना चाहे. खुद को आगे रखने की प्रवृति भी उसमें हो सकती है. अपने आचरण के कारण समाज में स्थान पाता है. ऐसे व्यक्ति को सरकार द्वारा कुछ न कुछ काम अवश्य प्राप्त होता है.
सूर्य और शुक्र की युति का फल
सुर्य का शुक्र के साथ युति संबंध व्यक्ति को थोड़ा रचनात्मक बनाने वाला हो सकता है. कुछ संदर्भ में यह स्थिति थोड.ई विपरित फल भी दे सकती है. व्यक्ति अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय रूप से अच्छी जगह बनाने में सक्षम होता है. उन्हें अपने रचनात्मक विचारों और कार्यों के लिए उसे प्यार और सराहना भी मिल सकती है. व्यक्ति का झुकाव बारीकी से चीजों का निरिक्षण करने की भी होती है. स्त्री पक्ष की ओर से सहायता मिल सकती है. ऐसा व्यक्ति महिलाओं की मदद से धन अर्जित करने में सक्षम होता सकता है. कुछ चालबाजियों ओर शार्तकट के कामों को करने में भी आगे रह सकता है. व्यक्ति की दृष्टि इस युति में प्रभावित होने कि संभावना भी अधिक होती है.
सूर्य और शनि की युति का फल
सुर्य का शनि के साथ युति संबंध बहुत अधिक अनुकूल नहीं माना जाता है. इसक अकारण दोनों के मध्य एक अलगाव होने से उत्पन्न होता है. सूर्य और शनि एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से कार्य करने में थोड़े कमजोर होते हैं. इसलिए व्यक्ति दोनों ग्रह के लाभों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पाता है. कुछ न कुछ कमी अवश्य ही प्रभावित करती है. इसमें एक लाभ है की व्यक्ति को धातुओं का ज्ञान प्राप्त हो सकता है. वह शोध के कार्य बेहतर कर सकता है. यह युति कार्यक्षेत्र में उच्च अधिकारी और कर्मचारियों के मध्य होने वाले संघर्ष को भी दर्शाती है.
ज्योतिषाचार्य राजरानी शर्मा