- अमावस्या तिथि के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल से भरा दीपक जलाने और मंत्रों का पाठ करते हुए पूजा करने से व्यक्ति जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा प्राप्त होता है.
- अमावस्या तिथि के दिन तीर्थ स्थानों पर पवित्र नदियों के जल में स्नान करना उत्तम फल प्रदान करता है.
- अमावस्या तिथि के दिन ब्राह्मणों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना अमोघ फल प्रदान करने वाला होता है.
- अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करते समय यदि कोई व्यक्ति इसके चारों ओर सात बार प्रदक्षिणा करता है तो उसके पूर्वजों को की आत्मा को शाश्वत शांति और मोक्ष प्राप्ति होती है.
अमावस्या तिथि कब आती है ?
अमावस या अमावस्या वह समय होता है जब च्म्द्रमा कि रोशनी का पूर्ण रुप से लोप हो जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार अमावस्या तिथि समय पर चंद्रमा दिखाई नही देता है. ज्योतिष के अनुसार अमावस्या तिथि के अवसर पर सूर्य और चंद्रमा दोनों ही समान अंशों पर गोचर कर रहे होते हैं. साधारन अर्थों में सूर्य और चन्द्रमा का अन्तर शून्य होता है ओर वह एक ही राशि में स्थित होते हैं.
हिंदू पंचांग अनुसार प्रत्येक माह को दो पक्षों कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में बांटा जाता है. कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है.
अमावस्या के नाम
अमावस्या तिथि को अनेक नामों से पुकारा जाता है. अमावस्या को अमा, कुहु, दर्श, अमावसी, सिनी अमांत, अमावस इत्यादि नामों से भी जाना जाता है.
अमावस्या पर करें पितरों की शांति का कार्य
पैतृक शांति के लिए पितृ तर्पण और पिंडदान का आयोजन करने के लिए इस दिन का अत्यधिक महत्व बताया गया है. पौराणिक आख्यानों के आधार पर ज्ञात होता है कि इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध कार्य करना बहुत उत्तम कार्य होता है. मान्यता है कि अमावस्या पर मृत आत्माओं के नाम पर किया गया कोई भी दान सीधे उन तक पहुंचता है.
अमावस्या तिथि दिलाती है पितृ दोष से मुक्ति
अमावस्या तिथि के देव पितृ ही हैं. इस कारण इस दिन तर्पण का कार्य करना उत्तम होता है. इसके अलावा, जन्म कुंडली में पितृ दोष, शनि दोष से पीड़ित जातक अमावस्या तिथि के दिन विशेष पूजा-अर्चना कर लाभान्वित हो सकता है.
अमावस्या पर किए गए कार्यों से लाभ
- अमावस्या पर पूर्वजों को तर्पण और अन्नदान, गरीब लोगों को भोजन कराने इत्यादि अनुष्ठान जीवन की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं.
- गरुड़ पुराण में अमावस्या के दौरान किए दान और उपवास को विशेष बताया गया है. इस समय पर किया गया जप-तप जन्म कुंडली में सभी दोषों को कम कर सकता है.
- इस दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से मंगल दोष शांत होता है और इसके सभी अशुभ प्रभाव दूर होते हैं.
- नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने के लिए भी अमावस्या तिथि का पूजन अत्यंत ही शुभदायक होता है.
अमावस्या व्रत-उपवास का महत्व
अमावस्या तिथि के दिन व्रत-उपवास सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस समय पर व्रती को विशेष पूजा विधान और नियमों का पालन करना चाहिए.
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए.
- शुभ कार्यों को शुरू करने से पुर्व शुद्ध साफ वस्त्रों को धारण करना चाहिए.
- पूजा स्थान पर भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करनी चाहिए.
- अमावस्या व्रत कथा भी पढ़नी चाहिए.
- नैवेद्य को देवताओं की मूर्तियों के सामने रखना चाहिए. जिसे बाद में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.
- अमावस्या का व्रत एक दिन और एक रात तक रहता है. इसका समापन अगली सुबह होता है जब भक्त अपना उपवास का पारण करता है.