कुंडली में श्यानादि अवस्था में स्थित ग्रह का विचार करना चाहिए.
उपवेशन अवस्था
सूर्य - जिस जातक के जन्म समय में सूर्य उपवेशन अवस्था में हो तो वह सूर्य की दशा में मनुष्य दरिद्रता को भोगता है, यदि सूर्य पीड़ित है तो कलह प्रपंच में लिप्त हो जाता है. संबंधो में व्यवहार कठोर चित्त वाला हो जाता है.
चन्द्र - जिस जातक के जन्म समय में चन्द्र उपवेशन अवस्था में हो तो वह मनुष्य मानसिक रोग ग्रस्त होता है, चंद्रमा पर शुभ दृष्टि ना होने से बुद्धिहीन व धनहीन भाव को प्राप्त होता है, यदि चंद्रमा को पाप ग्रह देखते हो तो निर्दयी और धन का अपव्यय करने वाला होता है, और यदि चंद्रमा नीच का हो तो दूसरे के धन को लूटने वाला हो सकता है.
मंगल - जिस जातक के जन्म समय में मंगल उपवेशन अवस्था में हो तो तो वह मनुष्य दिखने में ताकतवर होता है, यदि मंगल शुभ दृष्टि से रहित हो तो अवसर वादी होकर पक्षपात करने वाला होता है, मंगल पर राहू का प्रभाव हो तो बहुत झूठ बोलकर धन अर्जित करने वाला होता है. धर्म में रूचि नहीं होती है.
बुध- जिस जातक के जन्म समय में बुध उपवेशन अवस्था में हो तो वह अपने जातक सदगुणों से सबको प्रभावित करता है, यदि बुध पाप ग्रह से प्रभावित हो तो दरिद्र होता है. यदि वह बुध मित्र गृह अथवा अपनी उच्च में राशि बैठा हो तो मनुष्य अनेक प्रकार से धन प्राप्त करता है.
गुरु- जिस जातक के जन्म समय में गुरु उपवेशन अवस्था में हो तो वह जातक अहंकारी व नेता गिरी का शौक़ीन होता है. गुरु नीच व पाप प्रभाव में हो तो सत्ता पक्ष से दण्डित होता है. गुरु की दशा में जातक शत्रुवर्गों के कलह से सदा संतप्त रहता है. धर्म से विमुख होने पर जातक देह कष्ट भोगता है विशेष कर पैर, जंघा, मुंह, हाथ के रोग से पीड़ित रहता है.
शुक्र- जिस जातक के जन्म समय में शुक्र उपवेशन अवस्था में हो तो वह मनुष्य अपने वस्त्रों के कारण प्रसिद्ध होता है. स्वर्ण या कृतिम आभूषणों से सुशोभित रहता है. शुक्र को बलवान ग्रह देखें तो उसके शत्रुओं का नाश हो जाता है और वह बड़े अधिकारीयों से लाभ प्राप्त करता है.
शनि- जिस जातक के जन्म समय में शनि उपवेशन अवस्था में हो तो वह जातक जीवन में भय से ग्रस्त रहता है. धन अभाब के कारण अति दुखी और गलत निर्णय के कारण अपमानित होता है. शनि राहू आदि पाप ग्रह से पीड़ित हो तो दाद - चर्म रोग से युक्त, अभिमानी और राज दण्ड से सदा संतप्त रहता है.
राहू- जिस जातक के जन्म समय में राहू उपवेशन अवस्था में हो तो मनुष्य देह सुख नहीं पाता है. शरीर की विकृति को प्राप्त होता है. दशा में दरिद्र जीवन वाला होता है किन्तु राहू के उपाय करने से सत्ता पक्ष से धन लाभ प्राप्त करता है.
केतु - जिस जातक के जन्म समय में केतू उपवेशन अवस्था में हो तो उस जातक को अज्ञात रोग से कष्ट होता है. चमड़ी के रोग होते हैं. दुर्घटना के योग बनते रहते हैं. शस्त्र व सर्प आदि हिंसक जीवों से आक्रमण होते हैं. केतु के उपाय से जातक आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करता है.