एक मुख वाले रुद्राक्षको ही एकमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है.
इसे सोमवार के दिन प्रात: काल यथाविधि पूजन आदि करकेही धारण करना चाहिए, इससे पूर्व शिव का ध्यान करते हुए मन्त्र जाप करना चाहिए.
विशेष रूप से ऊँ एं हं औं ऐं ऊँ इस मन्त्र का १०८ बार जाप करके धारण से शीघ्र मनोकामना सिद्ध होती है.
बस आपको इतनी सावधानी रखनी होगी कि कभी भी एक मुखी रुद्राक्ष में बीच में छेद करके नही धारण करना चाहिये,अन्यथा उसकी आन्तरिक दिव्य शक्तियों का विनाश हो जाता है,और वह रुद्राक्ष अच्छे फ़ल की जगह विपरीत फ़ल देना शुरु कर देता है.
इसे स्वर्ण अथवा चांदी धातु से मंडित करवाकर ही धारण करना चाहिये.
शराब मांस के सेवन तथा स्त्री पुरुष के बीच काम क्रीडा के समय पूजा स्थान में रख देना चाहिये.
पुनः धारण- एक बार उतारने के बाद तीन दिन के अंतराल में पुनः धारण किये जाने से पहले शुद्ध होकर ही धारण करना चाहिये और प्रातः काल ही उपरोक्त मंत्र का जाप जरूर करना चाहिये.
शुद्धि- धारण किये हुए रुद्राक्ष की समय-समय पर सनातन पर्वों पर तथा ग्रहण के दिन इसे गंगाजल से या किसी कुँए व किसी नदी के शुद्ध जल से धोकर साफ़ कर लेना चाहिये,अगर नही मिले तो पहले से एकत्रित वर्षा जल से धोना चाहिये,फ़िर पहले लिखे हुए मंत्र का जाप करने के बाद ही धारण करे.
कहते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने में चरित्र का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ऐसा नहीं करने पर वैश्यागामी पुरुष या परपुरुषगामी स्त्री कोढ रोग का शिकार हो जाते हैं.
लाभ- एक मुखी रुद्राक्ष शिव स्वरूप हो जाता है,इसके धारण करने से भयंकर पाप वृति भी दूर हो जाती है,लेकिन धारण करने के बाद किसी भी प्रकार के पाप की भावना मन में नहीं लानी चाहिये,अन्यथा यह तुरत ही विपरीत फ़ल प्रदान करता है. इसके धारण करने के बाद माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए माता की मूर्ति के समक्ष नत मस्तक होकर अपने सभी प्रकार के ज्ञात अज्ञात गलतियों की क्षमा मांगे तो माँ की कृपा से याचक को के पास धन की कमी नहीं रहती, वह हमेशा लक्ष्मी से पूर्ण रहता है.
रुद्राक्ष से आयुर्वेदिक चिकित्सा भी होती है,योग्य वैद्य के निर्देशन में गाय के दूध में इस रुद्राक्ष को धोकर बीमार व्यक्ति को पिलाते रहने से और रोगी के द्वारा उपरोक्त मंत्र का जाप करते रहने से रोगी का रोग दूर हो जाता है. इस रुद्राक्ष का सुबह को जगते ही दर्शन और स्पर्श करने से पूरा दिन सुखमय बीतता है,भयानक स्थान में जाते वक्त इसे धारण करने से डर नही लगता है.
बारह राशियों वालों का रुद्राक्ष धारण करने से लाभ
⦁ मेष - सरकारी पद, उन्नति, उच्च पद, पैतृक सम्पति
⦁ वृष - शीघ्र विवाह, नौकरी, बैंक बैलेंस, आरोग्यता
⦁ मिथुन - विदेश यात्रा, पर्यटन, विवाह, संतान-प्राप्ति
⦁ कर्क - अध्ययन में सफलता, प्रशासनिक उच्च पद, स्वर्ण आदि धन-प्राप्ति, पैतृक सम्पति में लाभ
⦁ सिंह - कोर्ट में सफलता, पद में उन्नति, विवाह, भू सम्पति का लाभ
⦁ कन्या- और तुला राशि -धन का लाभ
- वृश्चिक - मान सम्मान,
- धनु - समाज में जगह,
- मकर -राअचल सम्पत्ति,
- कुम्भ - विदेश यात्रा तथा आराम वाले साधन प्रदान करवाता है.