यदि किसी के जीवन में बुरे ग्रह की दशा चल रही है और उससे बचने के लिए वह ज्योतिषीय परामर्श चाहता है, तो वह इन बातों का विचार करके अपने जन्म कुंडली के खराब व पापी ग्रह के दोष को दूर कर सकता है. ये उपाय बहुत ही सरल है, जिन्केहें आप आसानी से कर सकते हैं.
सुर्य : यदि आपकी कुंडली में सूर्य पीड़ित है, तो उसके दूषित प्रभाव होने पर पेट, आंख, हृदय सम्बन्धित रोग हो जाए और पिता, उच्च अधिकारी व सामजिक जीवन में अपयश होने लगे तो आप ये उपाय करें -
१.तांबा, गेंहू एवं गुड का दान करें.
२.मिट्टी के एक पात्र में आम की एक छोटी लकड़ी को अग्नि से जलाएं, फिर आधी लकड़ी जल जाने पर, उस पर दूध के छींटें देकर अग्नि को बुझाएं.
३.घर से निकलने से पूर्व गुड़ का सेवन करें.
४.रविवार को शंख बजाकर हरिवंश पुराण का पाठ करें.
५.ताबें का बराबर दो तुकडा काटकर एक को पानी में बहा दें एक को घर पर किसी सुरक्षित स्थान पर रखें.
चंद्र : यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित है, तो उसकी अशुभता से जब भी वाहन में खराबी, दुर्घटना, माता क कष्ट आदि होते हैं. व्यक्ति की स्मरण शक्ति में कमी आती है, मकान में जल संकट उत्पन्न होता है, नल आदि की समस्या होती है, ऐसे में ये उपाय करें.
१. शिव संकल्प के मन्त्र का पाठ करें.
२.दो मोती लेकर एक को बड़ी नदी के जल में बहा दें, एक को अपने अपने घर के वायव्य कोण में रखे.
३.चंद्रमा यदि कुण्डली में छठे भाव में हो तो दूध या पानी का दान अपने हाथ से कदापि ना करें.
४. यदि व्यय भाव में हो तो राह चलते साधु को भोजन न करावें, न ही दूध पिलावें, क्योंकि किसी तंत्र के प्रभाव में आने से जातक जीवन बर्बाद कर सकता है.
मंगल : यदि आपकी कुंडली में मंगल अशुभ स्थान में बैठा है, और शत्रु ग्रहों से पीड़ित है तो मंगल के अशुभ होने पर जातक को संतान का कष्ट होता है, नेत्र कष्ट व घाव होता है. गठिया रोग और रक्त की कमी से देह में दुर्बलता आती है. जातक शीघ्र ही उत्तेजित हो जाता है. जब लगे कि कष्ट अधिक हो रहा है, या लड़ाई झगडा होने वाला है, तो सावधान होकर ये उपाय करें.
१. हनुमान चालीसा का पाठ करें.
२. मंगलवार के दिन उपवास रखें.
३. गरीब बच्चों को तंदूर की बनी मीठी रोटी दान करें.
४. नदी व नहर के पानी में रेवड़ी को प्रवाहित करें.
५. हर माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार को सवा किलो मसूर की दाल किसी वृद्ध व्यक्ति को दान में दें.
बुध : जन्म कुंडली में बुध अशुभ हो तो जातक के आगे के दांत टूट जाते हैं. सूंघनें की घ्राण शक्ति में कमी आती है. बुध के पाप प्रभाव में होने से गुप्त रोग उभरने लगे तो ये उपाय करें, जिससे शीघ्र ही रोग से मुक्ति मिलेगी.
१. स्त्री जातिका नाक छिदवायें, और स्वर्ण धारण करें.
२. ताबें के प्लेट में छेद कर गंगा में विसर्जित करें.
३. भगवान् गणेश जी की उपासना करें.
४. अपने भोजन में से गो ग्रास निकाल कर भोजन से पूर्व गाय अथवा बछड़े को दें.
गुरु : जन्म कुंडली में सबसे शुभ ग्रह बृहस्पति के अशुभ होने से जीवन में धन, विवाह, संतान व मांगलिक उत्सवों में बाधा उत्पन्न होती है. सिर के बाल झड़ने लगे,स्वर्ण की हानि हो, उच्च शिक्षा में रुकावटें हो तो गुरु के शुभ फल प्राप्त करने के लिए यह उपाय करें.
१.हाथों में स्वर्ण धारण करें और माथे पर चंदन व केशर का तिलक लगा कर ही काम पर जाएं.
२. गुनगुना जल ही पीएं और गुनगुने जल से ही स्नान करें
३.गुरूवार के दिन दान में हल्दी, पीली दाल, शुद्ध केसर आदि उचित पात्र को दें.
४.वेदमंत्रों का पाठ करें.
शुक्र : जन्मकुंडली में शुक्र अशुभ भावों में और अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो तो जीवन में सुख कम और दुःख अधिक भोगने पड़ते हैं.अक्सर शुक्र के कमजोर होने से अंगूठे में चोट लगती है. देह की कान्ति मन्द हो जाती है, त्वचा के उपरी भाग में दाग आदि हो जाते हैं. स्वप्न दोष से देह दुर्बल हो जाती है. ऐसे में शुक्र को मजबूत करने के लिए यह उपाय करें, शीघ्र ही रोग व शोक से मुक्ति मिलेगी.
१. गाय को प्रतिदिन कुछ भोजन अवश्य देवें.
२. गौशाला में पूर्णिमा के दिन गो चारे का दान करें अथवा एक गौ के भरण पोषण का संकल्प ग्रहण करें.
३. नि:सहाय बालक अथवा वृद्ध स्त्री के रोग उपचार का खर्चा वहन करें.
४. श्री सूक्त से लक्ष्मी की उपासना करें.
शनि: जन्म कुंडली में शनि के प्रकोप होने से भू संपत्ति से जुड़ी समस्या होती है. जातक जिस घर में निवास करता है, उस भवन का कोई हिस्सा अवश्य ही क्षति ग्रस्त होता है. अग्नि से भय होता है. अतिरिक्त धन का नाश होता है, मानसिक शान्ति नष्ट हो जाती है, तो शनि की प्रसन्नता के लिए ये उपाय करें.
१. जिस वृक्ष में कौवे निवास करते हो, उसकी जड़ में रोटी के टुकड़े एक वर्ष तक रखें.
२. शनिवार के दिन प्रात मिट्टी के पात्र में तेल डाल कर अपना मुख देख उस तेल का दान करें.
३.लोहे का औजार, आधा किलो काला उडद, कम से कम सौ ग्राम काले सरसों जरुरत मंद व्यक्ति को भेंट में दें.
४.भगवान शिव की भक्ति करें.
५.शनि लग्न में हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का न दें, यदि देंगे तो संतान पर इसका बुरा प्रभाव होगा.
६. धामिक कार्यों को गुप्त रूप से ही करें, दिखावा न करें.
राहु : जन्म कुंडली में राहू अशुभ भाव में और अशुभ भावेशों से सम्बन्ध करें तो जातक के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव होता है, नियमित रूप से कोई रोग देह पर लगा रहता है, कोई न कोई मानसिक चिंता से जकड़ा रहता है. राहु के अशुभ होने पर हांथ के नाखून अपने आप टूटने लगते है. श्वास सम्बन्धी रोग के लक्षण प्रगट होते है. विरोधी जन का बल बढता है. तो राहू को शुभ करने के लिए ये उपाय करें
१. जौं या अनाज को दूध में धो कर बहते पानी में बहायें.
२. संध्या काल में कच्चा कोयला नदी में प्रवाहित करें.
३. निम्न व निर्धन व्यक्ति को जौ व चने का सत्तू का दान करें.
४. सिर में चोटी रखें तथा उपासना समय में शिखा को बाँध कर रखें.
५. भैरव जी के सभी रूपों का ध्यान करें.
केतु : जन्म कुंडली में केतु के अशुभ भाव में होने से और पापी ग्रहों के साथ युति करने से जातक नरक भोगता है. इसके अशुभ प्रभाव में होने पर मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाते हैं.हड्डी कमजोर होने लगती है. संतान पर संकट आता है. इसके लिए ये उपाय नियमित रूप से करें.
१.सुबह के समय आवारा कुत्ते को भोजन दें.
२. काले तिल का दान शनिवार के दिन करें
३. कपिला गाय गौ शाळा में दान करें.
४. कान छिदवायें, स्वर्ण धारण करें
५. विघ्नविनायक गणेश भगवान को प्रात काल स्मरण करते हुए गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें.
किसी भी उपाय को करने से जब भी लाभ प्राप्त हो, तो भगवान् को बारम्बार धन्यवाद करें और सदैव नेक काम करने और पर उपकार करने का संकल्प दृढ करें.