शारदा यात्रा धर्मशाला में गैर हिन्दू सदस्य क्यों? मुसलमान संचालक और बगल में एक मस्जिद भी क्यों बन रही है ?  हिन्दुओं सावधान ! -आचार्य मदन  

 टीटवाल की मुस्लिम सदस्यों वाली हिन्दू धर्मशाला 




 जम्मू | "शारदा यात्रा मंदिर समिति ने कश्मीर में टीटवाल इलाके में एलओसी पर लगभग एक कनाल के भूखंड के सीमांकन के बाद 2 दिसंबर 2021 को प्राचीन शारदा मंदिर के नाम से भूमि पूजन शुरू किया. दावा किया जा रहा है कि इस मंदिर की योजना और मॉडल को पहले ही श्रृंगेरी दक्षिण मठ द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है, जबकि यह काश्मीर की पौराणिक शक्ति पीठ  माँ शारदा सर्वज्ञ पीठ से प्रत्यक्ष कोई सम्बन्ध नहीं रखता है. इसके नाम पर चन्दा इक्कठा करना, देश भर के हिन्दुओं को बेवकूफ बनाने का काम है. सन 2003 से काशी विद्वत परिषद् द्वारा शारदा सर्वज्ञ पीठ पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ जी महाराज पीठासीन है. शारदा सर्वज्ञ पीठ की मुक्ति के लिए लगभग बीस वर्षों से प्रयासरत है. कश्मीर में उन पर तीन बार जानलेवा आतंकवादी हमले भी हो चुके हैं." यह जानकारी श्रीमद् जगद्गुरु शारदा सर्वज्ञ पीठम्, काश्मीर के महामन्त्री आचार्य मदन ने दी. 
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ जी महाराज 

    आगे उन्होंने कहा कि "सेव शारदा समिति द्वारा मुस्लिम सदस्यों द्वारा संचालित इस धर्मशाला को पांच हजार साल पुराना शारदा मंदिर का नाम देना किसी षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है.  भारत सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए. महाशक्ति पीठ शारदा सर्वज्ञ पीठ के प्रति हिन्दुओं की भावना का सम्मान होना चाहिए. जिस स्थान पर इस धर्मशाला का निर्माण हो रहा है, उसके कोई ऐतिहासिक तथ्य नहीं है, एक कहानी गढ़ी जा रही है, इस धर्मशाला मंदिर को 75 साल बाद मुस्लिमों ने हिन्दुओं को वापस कर दिया. इससे बड़ा झूठ क्या हो सकता है, जबकि तीन स्थानीय मुसलमान  इस छद्म धर्मशाला के मालिक और संचालक होकर हिन्दू तीर्थ यात्रियों की निजी जानकारी का दुरुपयोग करने में सक्षम होंगे, क्योंकि इस धर्मशाला के बगल में एक मस्जिद का निर्माण भी किया जा रहा है, तब तो अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है."

" कश्मीर फाइल्स देखने में बाद जोश में आए हिन्दुओं को यह ध्यान में रखना होगा कि हिन्दुओं के मंदिरोंमें, धर्मशालाओं में या किसी भी मठ आश्रम में किसी भी प्रकार का गैर हिन्दू जो सनातनधर्मी न हो, ऐसे संदिग्ध व्यक्ति को प्रबंध समिति में रखना एक आत्मघाती कदम होगा."

"इस नकली शारदा मंदिर यात्रा समिति में ख्वाजा इफ्तिखार अहमद, कैप्टन इलियास, एजाज खान जैसे मुस्लिमों के नाम होने की जानकारी आ रही है. रविन्द्र पंडिता की ऐसी क्या मजबूरी है, कि वे इस्लाम के गैर मुस्लिमों के प्रति धार्मिक विचारों को स्मरण नहीं कर पा रहे हैं. फिलहाल वे इन मुसलमानों के साथ मिलकर इस धर्मशाला के नाम पर चंदे की धन राशि इक्कठे करने में व्यस्त हैं, जबकि न तो इस्लाम और न ही कोई मुसलमान मूर्तिपूजा में विश्वास रखता है. हाँ मंदिरों और मूर्तियों को खंडित और नष्ट भ्रष्ट करने को अपना ईमान अवश्य समझता है."