१९४७ में आजादी के बाद तत्कालीन *वायसराय हाउस को राष्ट्रपति आवास* बना दिया गया। उसके बाद क्षेत्रफल और साज-सज्जा के अनुसार दूसरे नंबर पर *तीन मूर्ति भवन* था। नेहरू जी ने इसे अपना आवास बना लिया।
अगले १७ वर्षों तक सारे कर्म - इसी भवन में करते रहे। उनकी मृत्यु होने पर दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जब तीन मूर्ति भवन में जाने लगे तो इंदिरा गांधी ने रोक दिया, कहा कि आपकी हैसियत नेहरू के भवन में रहने लायक नहीं है। सीधे-सादे शास्त्रीजी मान गए और अपने लिए एक बहुत छोटा सा बंगला चुना और वहीं रहने लगे।
उनकी रहस्यमय असामयिक मृत्यु के बाद तीन मूर्ति भवन को इंदिरा गांधी ने नेहरू संग्रहालय बना दिया, इसमें उनका गद्दा तकिया रजाई चश्मा घड़ी और उनके उपयोग के तमाम सारे सामान जिसमें एडविना की फोटो भी थी, लगा दिये।
बाद में जितने प्रधानमंत्री आए किसी का कोई संग्रहालय नहीं बना।
पी वी नरसिम्हा राव को तो इतना बेइज्जत किया कि उनका अंतिम संस्कार तक दिल्ली में नहीं करने दिया क्योंकि वे इंदिरा गांधी के गुलाम नहीं थे।
समय बीतता गया। प्रधानमंत्री आते गए और सबके बंगले सुरक्षित होते रहे।
इसी समय
राजनीति के फलक पर एक सितारे का उदय हुआ जिसे सब नरेंद्र मोदी के नाम से जानते हैं।
उन्होंने बिना हल्ला गुल्ला किये खामोशी से काम शुरू कर दिया। तीन मूर्ति भवन के एक एक करके सारे १८ कमरे खुलवा दिए और उनमें सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की स्मरणीय वस्तुओं को रखवाकर उनके नाम से अलग - अलग संग्रहालय बनवा दिया। अब बारी थी नेहरू जी का नाम हटाने की।
अब तक इसका नाम केवल "जवाहरलाल नेहरू संग्रहालय तीन मूर्ति भवन दिल्ली' था।
मोदी जी ने अब नेहरू शब्द हटाकर इसका नया नामकरण कर दिया *"प्रधानमंत्री संग्रहालय"*।
इसका विधिवत उद्घाटन दिनांक 14-04-2022, अम्बेडकर जयंती पर करेंगे।