श्री शारदा सर्वज्ञ पीठाधीश्वर अनन्त श्री स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ श्रीमद जगदगुरु शंकराचार्य जी का टिटवाल में दौरा,सेना के जवान और स्थानीय काश्मीरियों से की भेंट काश्मीर की धरती पर सनातन धर्मं और राष्ट्र की रक्षा का कराया संकल्प
श्रीनगर 2 जून 2022| जेहादी आतंकवादियों को चुनौती देते हुए श्रीमद् जगदगुरू शंकराचार्य अनन्त श्री स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ जी महाराज ने कश्मीर में भारतीय सीमा पर स्थित टिटवाल तहसील का दौरा किया. पाक अधिकृत काश्मीर में स्थित शारदा सर्वज्ञ पीठ की मुक्ति अभियान को दिशा देने की दृष्टि से स्वामी अमृतानंद जी इन दिनों जम्मू और काश्मीर प्रवास में हैं.
पिछले कई वर्षों से एक नैरेटिव सेट कर दिया गया है, कि शारदा सिर्फ कश्मीरी पंडितों की ही कुल देवी है. उसी भ्रम के कारण लोगों ने इसके वास्तविक अनुयायी पीओके विस्थापित हिंदू और सिख तथा अखण्ड भारत के पंजाब, सिंध एवं दक्षिण भारत के सारस्वत ब्राह्मणों को भुलाकर इसे सिर्फ कश्मीरी पंडितों से जोड़ दिया.
किसी एक कश्मीरी पंडित ने सेव शारदा कमेटी बनाई और कुछ लोग उस कमेटी के कहने पर सेना के सहयोग एवं प्रेरणा से तीतवाल में शारदा मठ टेंपल का निर्माण कर रहे हैं. जिसका मूल शारदा पीठ से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है. उसी दौरान उन्होंने शारदा पीठ मार्ग से हटकर इस गलत ट्रेक पर बने टेंपल को देखने के लिए शारदा सर्वज्ञ पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद जी से आग्रह किया. उनके आग्रह पर स्वामी जी उनके साथ वहां गए और निरीक्षण करके उस टेंपल के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए. जिसमे वहां के स्थानीय लोगों ने स्वीकार किया कि श्रीनगर से शारदा पीठ के मार्ग से यह स्थान अलग हटकर है.
नियंत्रण रेखा के साथ सटे टिटवाल क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन एवं प्रतिष्ठित नागरिकों के साथ शंकराचार्य जी ने भेंट की. स्थानीय ख्वाजा इफ्तिखार अहमद,कैप्टन इलियास ,एवं अहमद मीर जी के साथ गुलाम मोहम्मद SHO, सेना के जवानों अधिकारियों ने बड़े हर्ष के साथ जगतगुरु शंकराचार्य जी का स्वागत अभिनन्दन किया. स्थानीय लोगों ने टिटवाल की स्थिति पर चर्चा दौरान शंकराचार्य जी को बताया कि अपने रोजी रोटी और रोजगार एवं सेना को सहयोग के उद्देश्य से वे चाहते हैं कि यहाँ का वातावरण सौहार्दपूर्ण बनाया जाए.
ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी सरकार शीघ्र ही पाक अधिकृत काश्मीर के रास्ते खुलवा कर शारदा यात्रा आरम्भ करवा सकती है, इस कारण स्थानीय लोगों ने भविष्य को ध्यान में रखकर इस भूमि पर एक धार्मिक यात्री निवास बनाने का निर्णय सेना को बताया. संयोग से उसी समय कश्मीरी पंडितों का एक ग्रुप पितृ पक्ष में श्राद्ध करने टिटवाल आ गया और शारदा को अपनी कुलदेवी बताया एवं सेव शारदा कमेटी के नेतृत्व में सारे देश के लोगों से धन संग्रह करने का आश्वासन देकर ख्वाजा इफ्तिखार के साथ मिलकर एक बैंक खाता खोल दिया गया. स्थानीय निवासी होने के कारण भाषा एक होने के कारण ये लोग उनसे शीघ्र घुलमिल गए लेकिन उस ग्रुप के लोगों ने इन यहाँ के स्थानीय कश्मीरियों को शारदा पीठ के वर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
कश्मीर का टिटवाल गांव सरहदों की नहीं बल्कि बंधनों की कहानी है. कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का यह गांव आधा भारत में और दूसरा आधा पाकिस्तान में है. किशन गंगा नदी, जो एलओसी के रूप में भी कार्य करती है, गांव को दो भागों में विभाजित करती है. इस गांव के पाकिस्तानी हिस्से को अब चिलियाना कहा जाता है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मुजफ्फराबाद की नीलम घाटी का हिस्सा है.
यह गाँव अब करनाह में बताया जा रहा है. विभाजन से पहले करनाह मुजफ्फराबाद जिले की सबसे बड़ी तहसील थी. 1947 की उथल-पुथल के बाद इस वज़रात के मध्य में नियंत्रण रेखा स्थापित हुई जिसने इसे दो भागों में विभाजित कर दिया. करनाह तहसील को भी विभाजित किया गया था. वर्तमान में करनाह का 16 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र एलओसी के ढोक और वन क्षेत्रों को छोड़कर इस तरफ स्थित है. क्षेत्र को तहसील का दर्जा प्राप्त है. यह श्रीनगर से 75 किलोमीटर दूर है. यह पहाड़ों की शमसबारी और करनू श्रृंखला के बीच एक छोटी सी घाटी है.
टीटवाल के क्षेत्र के कश्मीरियों से भेंट करने के बाद जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने शाम को इस सीमा क्षेत्र के डिप्टी कमांडर कर्नल मंजीत सिंह जी से इस मामले में व्यापक चर्चा की. चर्चा में शंकराचार्य जी ने काश्मीर के स्थानीय और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए दुर्गम सीमांत क्षेत्रों के लोगों को रोजी रोटी उपलब्ध कराने और भारतीय संस्कृति से गहरा संबंध बनाने के लिए इन क्षेत्रों के पौराणिक तीर्थ स्थानों को पुनर्जीवित कर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाने और उसको लागू करने को आवश्यक बताया.
कर्नल मंजीत सिंह ने शंकराचार्य जी को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिये गए दिशा निर्देशों की पालना की जाएगी. सेना ने अपने ब्रिगेड headquarter में शंकराचार्य जी एवं उनके सहयोगियों के रुकने एवं आहार आदि की समुचित व्यवस्था की. अगले दिन शंकराचार्य जी ने स्थानीय नागरिकों से भेंट की जहाँ सेना एवं शारदा मठ यात्रा निवास, गुरुद्वारा एवं मस्जिद का निर्माण करा रहे सज्जनों ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके यहाँ गुरुद्वारा, मंदिर एवं मस्ज़िद तीनों धर्मस्थलों का निर्माण कार्य प्रस्तावित है.
पहले चरण में गुरुद्वारे का निर्माण लगभग पूर्ण हो गया है और कुछ दिनों में दक्षिण भारत के श्रृंगेरी शारदा पीठ के अनुयायियों द्वारा यात्री निवास के लिए पत्थर आने के बाद यात्री निवास एवं उसमें एक छोटे मन्दिर का निर्माणकार्य शीघ्रता से किया जाएगा .