हरिद्वार। 3 अक्टूबर 2022। फोर्थ जनरेशन की योग गुरु माने जाने वाले योगीराज स्वामी लाल जी महाराज जी अपने एक सप्ताह के हरिद्वार प्रवास में थे।
इस दौरान कनखल स्थित मां योग शक्ति योग आश्रम के पं इंद्र मोहन मिश्रा जी और श्री अवधेश शर्मा जी के आमंत्रण पर मुझे उनके आश्रम पर योगीराज स्वामी लाल जी महाराज जी और गुरु मां के साथ आने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इस समय योगीराज स्वामी लाल जी महाराज 80 वर्ष की अवस्था में है। एक सक्रिय योगाचार्य के रूप में पूर्ण ऊर्जा के धनी हैं।
लगभग 17 बीघा में बने इस श्री मां योग शक्ति दिव्य धाम आश्रम में समय-समय पर योग शिविर का आयोजन होता है। पं इंद्रमोहन मिस्र ने बताया कि उत्तराखंड पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक जी ने आश्रम के बाहर के लगभग एक किलोमीटर की सड़क का नाम मां योग शक्ति मार्ग रखा।
मातृ आचार्य महामंडलेश्वर मां योग शक्ति भारत के अलावा अमेरिका में भी योग के प्रचार प्रसार में संलग्न थी। आश्रम में पधारे विशिष्ट अतिथि योग गुरु स्वामी लाल जी महाराज और गुरु मां के साथ मिश्र जी ने मां योग शक्ति के जीवन का परिचय और कुछ दिव्य घटनाओं की चर्चा की। पं इंद्र मोहन मिश्र का कनखल हरिद्वार में सात पीढ़ियों का इतिहास रहा हैं। अपने जीवन काल में मां योग शक्ति ने अपने दो शिष्यों दीक्षा दी थी जिनमें से एक पंडित इंद्र मोहन मिश्रा जी हैं और दूसरी आश्रम के सचिव श्री अवधेश शर्मा जी हैं। पंडित इंद्र मोहन मिश्र जी को विश्व विख्यात आध्यात्मिक विभूति मां आनंदमयी माता का भी आशीर्वाद प्राप्त था। लगभग 30 वर्ष पूर्व पंडित इंद्र मोहन मिश्र श्री मां मां योग शक्ति की सेवा में आए और उनके आशीर्वाद से भी अनेक सिद्धियों का साक्षात्कार किया।
आश्रम में पधारे स्वामी लाल जी महाराज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। योगीराज स्वामी लाल जी महाराज का जन्म 15 जून 1944 को भारत के प्रसिद्ध पारंपरिक योगियों के परिवार में हुआ था। उन्हें 8 साल की उम्र में उनके पिता, योगीराज स्वामी देवी दयाल जी महाराज ने योग में दीक्षा दी थी, जिन्होंने अपने जीवनकाल में देश में 40 योग केंद्रों की स्थापना की थी। जब से वे भारत और विदेशों में पीड़ित जनता की सहायता के लिए योग को एक उपकरण के रूप में अपना रहे हैं। वर्ष 1968 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सबसे प्रतिष्ठित योग गुरु स्वर्गीय स्वामी देव मूर्ति जी महाराज के संरक्षण में एक बहुत कठोर योग प्रशिक्षण से गुजरने के लिए श्वार्ट्जवाल्ड (ब्लैकफोरेस्ट) में जर्मनी गए। यूरोप में 2 साल बिताने के बाद, स्वामी के साथ देव मूर्ति जी, स्वामीलालजी टीवी और अन्य स्रोतों के माध्यम से देश में योग फैलाने के लिए भारत वापस आए।
भारत आने से पहले वे 1968-1970 तक यूरोप में रहे और स्वर्गीय स्वामी देव मूर्ति जी महाराज के उदात्त मार्गदर्शन में योग का व्यापक प्रसार किया, जिनका 108 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।
स्वर्गीय स्वामी देव मूर्ति जी के मार्गदर्शन में, स्वामी लालजी को योग चिकित्सा पर एक शोध परियोजना शुरू करने के लिए एक मुख्य अनुसंधान अधिकारी का पद दिया गया था और उन्हें 1977 तक स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए न केवल योग चिकित्सा पर शोध करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, बल्कि विलिंगडन अस्पताल, नई दिल्ली के मनोरोग विभाग के लिए योग चिकित्सा पर शोध करने में शामिल, जो इतना उपयोगी साबित हुआ कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने योग को आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग, यूनानी) के तहत सबसे महत्वपूर्ण खंड में से एक बना दिया। सिद्धा, होम्योपैथी), स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन।
वे दूरदर्शन के भारतीय राष्ट्रीय टीवी, होम टीवी, और जेडडीएफ, टीवी (जर्मनी), चैनल 4 जापानी टीवी और सिंगापुर टीवी, कनाडाई और स्वीडिश टीवी चैनलों पर नियमित योग पाठ्यक्रम बनाम सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का संचालन कर रहे हैं। वर्ष 1975 से अब तक योग शिविरों का कुशलता पूर्वक संचालन कर रहे हैं।
योग चिकित्सा के क्षेत्र में उनके लंबे अनुभव को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली सरकार। वर्ष 2010 में योगीराज स्वामीलालजी महाराज को राज्य सलाहकार बोर्ड ऑफ योग एंड इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन में सलाहकार बोर्ड के सदस्यों में से एक के रूप में नियुक्त किया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष विभाग, सरकार। भारत सरकार ने उन्हें 2010-2015 के लिए केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा परिषद, नई दिल्ली की योग अनुसंधान परियोजनाओं की देखरेख के लिए कई सलाहकार बोर्ड समितियों के सदस्यों में से एक के रूप में भी नियुक्त किया था।
उन्होंने 60,000 से अधिक विदेशी पर्यटकों, मुख्य रूप से अविभाजित रूस के रूसी, दिल्ली के पर्यटक सहायता ब्यूरो और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के आयोजन में शामिल विभिन्न अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा आयोजित योग सेमिनारों का भी आयोजन किया।
उन्हें वर्ष 1984 में सिंगापुर के योग शिक्षकों के संघ के लिए सिंगापुर में एक राष्ट्रीय योग संगोष्ठी और वर्ष 1990 में हॉलैंड के योग शिक्षकों के संघ के लिए एक अन्य योग शिक्षक प्रशिक्षण संगोष्ठी आयोजित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
वही विरासत जो महाप्रभु राम लालजी द्वारा शुरू की गई थी, उसे योगेश्वर मुलख राज जी जैसे महाप्रभु जी के शिष्यों ने आगे बढ़ाया है, जिसके बाद स्वामी देवी दयाल जी, वर्तमान में चौथी पीढ़ी के योग गुरु स्वामी लाल जी महाराज और उनकी सहयोगी गुरु माँ के दिशा निर्देशन में योग शिविरों का संचालन व योग चिकित्सा सेवाएं दी जा रही हैं।
मां योग शक्ति आश्रम कनखल में इन दोनों सिद्ध योग मूर्तियों के सानिध्य में ध्यान योग के कुछ गहरे प्रयोग सीखने का समझने का अवसर प्राप्त हुआ। 80 वर्षीय योगी स्वामी लाल जी महाराज जी ने अपने योग आश्रम जो संन्यास रोड कनखल हरिद्वार में स्थित है, मुझे आने का निमंत्रण दिया। उनका योग केंद्र पिछले 35 वर्षों से योग के प्रचार प्रसार में समर्पित है।
स्वामी लाल जी महाराज ने बड़े ही सहज और प्रेम भाव से योग जीवन के सिद्धि के सूत्र समझाएं। मां गंगा के किनारे विश्व की विलक्षण योग विभूति स्वामी लाल जी महाराज के साथ जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
-विश्व हिंदू पीठाधीश्वर आचार्य मदन