लोटबे_त_मोटबे
बिहारी कहावत है जिसका अर्थ है कि बच्चा माटी में जितना लोटता है उतना तंदरुस्त होता है। इसी सिद्धांत पर पश्चिम के देशों में मड बाथ(Mud Bath) अथार्त् कीचड़ स्नान की सेवा देने वाला उद्योग आरम्भ हुआ लेकिन सब चौपट कर दिया टीवी ने।
टीवी में एक आधुनिक अम्मा आई और डेटॉल के प्रचार में कहने लगी कि मिट्टी में तो जर्म(रोगाणु) होते हैं और आप तो जानते ही हैं कि अब लोग बुद्धि से नहीं बल्कि टीवी से सोचते हैं फिर क्या था आधुनिक अम्माओं ने बच्चों को मिट्टी से दूर कर दिया।
मिट्टी कोई कचरा नहीं बल्कि पर्यावरण का एक प्रमुख घटक है जो इस पर्यावरण के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। शास्त्र के अनुसार मिट्टी तो पंचतत्व है लेकिन टीवी ने आधुनिक अम्माओं को इतना मूर्ख बनाया कि उन्होंने बच्चे को मिट्टी से दूर कर दिया।
बाहर मिट्टी में खेलने से शारीरिक और मानसिक लाभ होता है। वस्तुतः बाँझ वातावरण में रहने के विपरीत, मिट्टी में खेलने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
हर साल 29 जून को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय मिट्टी दिवस, मिट्टी में खेलने और धरती माता से जुड़ने का दिन है। अंतर्राष्ट्रीय मड दिवस 2009 में बेलफ़ास्ट में एक वर्ल्ड फ़ोरम कार्यक्रम में शुरू हुआ जब ऑस्ट्रेलिया के गिलियन मैकऑलिफ़ ने साझा किया कि पर्थ में बच्चे मिट्टी में खेलने में सक्षम नहीं हैं।
इस सहयोग ने दुनिया भर में शिक्षकों, बच्चों और परिवारों को प्रेरित किया और 2009 से 29 जून लोगों के लिए मिट्टी में खेलने की तारीख बन गई है।
महत्व
यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि मिट्टी में खेलने से हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जैसा कि वस्तुतः बाँझ वातावरण में रहने के विपरीत है। इसके अतिरिक्त, बाहर मिट्टी में खेलने से बच्चों और वयस्कों दोनों को शारीरिक और मानसिक लाभ होता है। मिट्टी में खेलने से बच्चों को संवेदी और मोटर कौशल विकसित करने में भी मदद मिलती है। यह नहीं भूलना चाहिए कि बैक्टीरिया की एक निश्चित मात्रा हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है। यह दिन समुदायों को भी एक साथ लाता है।
मड डे कैसे मनाते हैं
घर के अंदर काम करने, कंप्यूटर पर खेलने या टीवी देखने के बजाय मिट्टी से खेलें।
मिट्टी की मूर्तियां और मिट्टी के केक बनाओ। आपको केवल मिट्टी में पानी मिलाना है जब तक कि आप उस मिट्टी की स्थिरता तक नहीं पहुँच जाते जिसके साथ आप काम करना चाहते हैं।
भित्ति चित्र बनाने के लिए उसी मिट्टी के नुस्खे का उपयोग करें।
ब्लो-अप पूल में मिट्टी को पानी में मिलाकर मिट्टी का पूल बनाएं। कूदो और पूल में चारों ओर छप जाओ।
कीचड़ के साथ रचनात्मक हो जाओ। मिट्टी के महल, मिट्टी के भवन, या मिट्टी का शहर भी बनाओ।
अब ज़रा सोचो आप ही जो मिट्टी से दूर हो गया वो तो प्रकृति से भी दूर हो गया और जो प्रकृति से दूर हो गया वो क्या प्रकृति की रक्षा करेगा। हमलोग जब बालक थे तो मिट्टी में ही खेलते थे, प्रकृति में रचे- बसे थे तो पेड़ लगाने हेतु बाहर से प्रेरणा नहीं लेनी होती थी।